जनता को सरकारी योजनाओं के लाभ से होना पड़ सकता है वंचित
लक्ष्मणगढ़ (अलवर ) मुफ्त राशन, बिजली, पानी या फिर कोई अन्य सरकारी सुविधा का लाभ ले रहे हैं जो फ्री मिल रही है। जल्द ही सरकार की ओर से सभी मुफ्त की योजनाओं को बंद कर दिया जाएगा। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में याचिका के जरिए मांग की गई है। कि सभी मुफ्त योजनाओं को जल्द से जल्द बंद कर दिया जाए।
सरकार की ओर से चलाई जा रहीं मुफ्त योजनाएं जैसे फ्री राशन, फ्री बिजली, फ्री बस सेवा या फिर रेल समेत कई योजनाओं को बंद करने की तैयारी की जा रही है। देश में चुनाव के वक्त राजनीतिक दलों की ओर से जनता को लुभाने के लिए फ्री योजनाओं का ऐलान किया जाता है। सरकार बनने पर जनता को यह सुविधाएं दी भी जाती हैं, इससे मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में मदद मिलती है।
मुक्त योजनाओं को बताया रिश्वत -
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में सरकार की ओर से दी जा रही मुफ्त योजनाओं को एक रिश्वत के तौर पर बताया गया है। जो राजनीतिक दलों की ओर से मतदाताओं को दी जाती है। इससे चुनाव के दौरान अपने पक्ष में वोट करने में मदद मिलती है। याचिकाकर्ता की मांग है कि जल्द से जल्द इस मामले में सुनवाई हो और इन योजनाओं को तुरंत बंद कर दिया जाए। साथ ही आने वाले वक्त में चुनाव के दौरान कोई दल इस तरह की मुफ्त की योजना का ऐलान नहीं कर सके।
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से भी कई तरह की योजनाओं के जरिए मुफ्त बिजली से लेकर किसानों को कई तरह की सब्सिडी दी जा रही हैं। इन योजनाओं का जिक्र चुनाव के दौरान किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में जल्द सुनवाई शुरू होगी। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में जनता को इस तरह की मुफ्त सरकारी योजनाओं से हाथ धोना पड़ सकता है।
महिलाओं और युवाओं के लिए चल रहीं योजनाएं -
महिलाओं के लिए लाडली बहना योजना, लक्ष्मी भंडार योजना जैसी योजनाएं, जिनमें उनके खातों में नियमित रूप से पैसे जमा किए जाते हैं, भी इस बहस का हिस्सा हैं। युवाओं के लिए मुफ्त टैबलेट, लैपटॉप, और शिक्षा संबंधी कई योजनाएं भी सवालों के घेरे में हैं। इन योजनाओं ने विशेष रूप से चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों को बढ़त दिलाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को गंभीरता से लिया है और जल्द ही सुनवाई शुरू होने की संभावना है। यदि अदालत मुफ्त योजनाओं पर रोक लगाने का फैसला करती है, तो यह न केवल आम जनता के लिए बल्कि राजनीतिक दलों के लिए भी एक बड़ा बदलाव होगा। इसका असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है।
- कमलेश जैन