संस्कृति को भूलना हमारी सबसे बड़ी भूल - जसवंत खत्री
भारतीय किसान संघ सीकर संभाग का प्रशिक्षण वर्ग सम्पन्न

सीकर (सुमेर सिंह राव ) ग्रामीण संस्कृति को भूलने से ही समाज में विकृति आई। भारत गांवों में बसता है और जो कुछ आज तक राष्ट्र में बचा हुआ है वह किसान की देन है। लेकिन पिछले कुछ दशकों से हम संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, यह हमारी सबसे बड़ी भूल है। संस्कृति को बचाने की जिम्मेदारी हम सब की है। यह विचार क्षेत्रीय कार्यवाह जसवंत खत्री पिपराली चौराहे के नजदीक केशव पैलेस में भारतीय किसान संघ सीकर संभाग के कार्यकर्ताओं का दो दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में बोल रहे थे। खत्री ने समाज परिवर्तन के पांच मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण, स्वदेशी भावना का जागरण एवं नागरिक कर्त्तव्य पर जोर दिया।दूसरे दिन के प्रथम सत्र में संगठन की रीति नीति पर चर्चा की गई। अल्पाहार के बाद दूसरे सत्र में किसान संघ की कार्य पद्धति से कार्यकर्ता रूबरू हुए। तीसरे सत्र में प्रांत महामंत्री सांवरमल सोलेट ने संगठन की रूप रेखा पर प्रकाश डाला। समापन सत्र में सहप्रांत प्रचारक विशाल ने वर्तमान राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। प्रांत अध्यक्ष कालूराम बांगड़ा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। वर्ग के पहले दिन अखिल भारतीय किसान संघ सह संगठन मंत्री गजेन्द्र सिंह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय किसान संघ में 42 लाख सदस्य हैं। 60हजार गांवों में ग्राम समितियां काम कर रही हैं। गजेन्द्र सिंह ने किसान संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।






