30 मार्च से होगी नववर्ष और विक्रम संवत 2082 की शुरुआत

लक्ष्मणगढ़ ( अलवर, राजस्थान/ कमलेश जैन ) हिंदू नववर्ष हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय पंचांग के अनुसार नव संवत्सर की शुरुआत का संकेत देता है। वर्ष 2025 में हिंदू नववर्ष 30 मार्च को प्रारंभ होगा। इसी दिन विक्रम संवत 2082 की शुरुआत भी होगी, जो पूरे वर्ष धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाएगा। योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि विक्रम संवत क्या है?
विक्रम संवत भारत का पारंपरिक हिंदू पंचांग है, जिसे राजा विक्रमादित्य ने ईसा पूर्व 57 में स्थापित किया था। यह चंद्र-सौर पंचांग पर आधारित है, जिसका उपयोग धार्मिक आयोजनों, पर्व-त्योहारों और शुभ कार्यों के लिए किया जाता है। इसमें महीनों की गणना चंद्रमा की गति के अनुसार की जाती है, जबकि वर्ष की गणना सूर्य की गति के आधार पर होती है।
विक्रम संवत की विशेषताएं
- चंद्र-सौर पंचांग – विक्रम संवत की गणना चंद्रमा और सूर्य की गति पर आधारित होती है, जिससे इसकी सटीकता सुनिश्चित होती है।
- बारह मास – इसमें चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन नामक बारह महीने शामिल हैं।
- संवत्सर चक्र – यह 60 वर्षों के चक्र में संचालित होता है, जिसमें प्रत्येक वर्ष का एक विशिष्ट नाम और प्रभाव होता है।
- त्योहारों की गणना – सभी हिंदू त्योहार जैसे नवरात्रि, रामनवमी, दीपावली, रक्षाबंधन, होली आदि विक्रम संवत के अनुसार निर्धारित किए जाते हैं।
नववर्ष का महत्व - हिंदू नववर्ष का दिन बहुत ही शुभ माना गया है। इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसे गुड़ी पड़वा और चेटी चंड (सिंधी समाज) के नाम से भी मनाया जाता है। इस अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी, घरों में तोरण और रंगोली भी सजाई जाती है। और लोग नए संकल्प भी लेते हैं।






