धौलपुर के सरमथुरा में 'डिजिटल इंडिया' की राह में रोड़ा: कमजोर नेटवर्क से बेहाल ग्रामीण

सरमथुरा (धौलपुर /नाहर सिंह मीना) धौलपुर एक तरफ जहां केंद्र और राज्य सरकारें 'डिजिटल इंडिया' के सपने को साकार करने के लिए अथक प्रयास कर रही हैं, और टेलीकॉम कंपनियां 5G नेटवर्क और सुपर-फास्ट इंटरनेट स्पीड के बड़े-बड़े दावे कर रही हैं, वहीं राजस्थान के धौलपुर जिले की सरमथुरा तहसील के ग्रामीण अंचलों में आज भी मूलभूत नेटवर्क कनेक्टिविटी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। बरौली और इसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों लोग कमजोर नेटवर्क और इंटरनेट की धीमी गति से जूझ रहे हैं, जिससे उनका दैनिक जीवन और सरकारी कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
आज हर विभाग डिजिटल हो रहा है। फोन कॉल से लेकर पढ़ाई-लिखाई, सरकारी नौकरियों के लिए ऑनलाइन आवेदन और परीक्षाएं—हर काम ऑनलाइन मोड पर आ चुका है। ऐसे में सरमथुरा के इन पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में सुगम नेटवर्क की अनुपलब्धता 'डिजिटल इंडिया' की परिकल्पना को खोखला साबित कर रही है।
Jio के बड़े दावे, जमीनी हकीकत कुछ और
देश का सबसे बड़ा और अच्छा नेटवर्क होने का दावा करने वाली रिलायंस जियो (Jio) के लाखों उपभोक्ता सरमथुरा और आसपास के क्षेत्रों में खराब नेटवर्क से प्रभावित हैं। आम जनता से लेकर ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं और सरकारी स्कूलों व कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारी भी जियो के कमजोर नेटवर्क के कारण सरकारी कार्यों में देरी का सामना कर रहे हैं।
हर मोबाइल कंपनी का बुरा हाल
यह समस्या केवल जियो तक सीमित नहीं है। वोडाफोन-आइडिया (Vi), एयरटेल (Airtel) और बीएसएनएल (BSNL) सहित सभी प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों के उपयोगकर्ता भी नेटवर्क नहीं आने और धीमी इंटरनेट स्पीड से परेशान हैं। ग्रामीण बताते हैं कि फोन पर बात करना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है, इंटरनेट का तो पूछिए ही मत।
डिजिटल डिवाइड की गहरी खाई
यह स्थिति धौलपुर जैसे पिछड़े जिले में 'डिजिटल डिवाइड' की खाई को और गहरा कर रही है। जहां शहरी क्षेत्रों में लोग 5G की दुनिया में कदम रख रहे हैं, वहीं सरमथुरा के ग्रामीण आज भी 2G जैसी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। यह स्थिति न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर रही है, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी बाधा बन रही है।
ग्रामीणों की मांग: तत्काल समाधान
परेशान ग्रामीणों ने टेलीकॉम कंपनियों और संबंधित सरकारी विभागों से इस गंभीर समस्या का तत्काल समाधान करने की मांग की है। उनकी प्रमुख मांगें हैं:
- नेटवर्क टावरों की संख्या बढ़ाना:- क्षेत्र में नए नेटवर्क टावर स्थापित किए जाएं, विशेषकर उन जगहों पर जहां कनेक्टिविटी बिल्कुल नहीं है।
- मौजूदा टावरों का उन्नयन:- मौजूदा टावरों को उन्नत कर उनकी क्षमता बढ़ाई जाए ताकि बेहतर सिग्नल और इंटरनेट स्पीड मिल सके।
- फाइबर ऑप्टिक कनेक्टिविटी:- ग्रामीण क्षेत्रों तक फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाई जाए ताकि तेज और विश्वसनीय इंटरनेट सेवा उपलब्ध हो सके।
- शिकायत निवारण प्रणाली:- टेलीकॉम कंपनियों द्वारा प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की जाए ताकि उपयोगकर्ताओं की समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके।
यह देखना होगा कि सरकार और टेलीकॉम कंपनियां 'डिजिटल इंडिया' के अपने वादों को पूरा करने के लिए सरमथुरा जैसे ग्रामीण क्षेत्रों की इस गंभीर समस्या को कितनी गंभीरता से लेती हैं। जब तक इन क्षेत्रों में सुगम नेटवर्क और इंटरनेट की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक 'डिजिटल इंडिया' का सपना अधूरा ही रहेगा।






