तब पंथ छोड़कर सुपथ पर स्वयं चला आएगा,मेरा ही भाई है मुझसे दूर कहा जाएगा – रक्षामंत्री राजनाथसिंह

उदयपुर।(मुकेश मेनारिया) रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रताप जयंती के अवसर पर पीओके पर बयान दिया है जिससे लेकर पूरे मेवाड़ में चर्चा हो रही है, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पीओएके की तुलना महाराणा प्रताप के छोटे भाई महाराज शक्तिसिंह से की है,पीओके को भारत का अंग बताते हुए कहा कि पीओके की स्थिति प्रताप के छोटे भाई शक्तिसिंह जैसी है,छोटे भाई शक्तिसिंह के कुछ समय महाराणा प्रताप से अलग हो जाने पर भी उनका विश्वास व स्नेह हमेशा बना रहा,प्रताप कहते है "तब पंथ छोड़कर सुपथ पर स्वयं चला आएगा,मेरा ही भाई है मुझसे दूर कहा जाएगा,
एक दिन पूर्व 27 मई चितौड़गढ़ में महाराज शक्तिसिंह की जयंती को भव्य समारोह के रूप में मनाया गया है और इधर रक्षामंत्री का बयान आने से सभी तऱफ महाराज शक्तिसिंह के इतिहास की चर्चा हो रही है,महाराज शक्तिसिंह के वंशज व वल्लभनगर के पूर्व विधायक महाराज रणधीर सिंह भींडर ने कहा कि महाराज शक्तिसिंह भातृप्रेम व वीरता के अनूठे उदाहरण है,कवियों ने तो हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और महाराज शक्तिसिंह के मिलन को राम भरत मिलन की संज्ञा दी है,पीओके निश्चित रूप से भारत का ही अंग है एक दिन यह पुनः भारत का अंग अवश्य होगा,
इतिहासकार अरविंदसिंह खोडियाखेड़ा व वैभवप्रताप सिंह पांसल ने कहा कि महाराणा उदयसिंह द्वारा किसी बात पर नाराज़ होकर महाराज शक्तिसिंह को मेवाड़ निर्वासन का आदेश दे दिया था जिस कारण कुछ समय महाराणा प्रताप व महाराज शक्तिसिंह को अलग रहना पड़ा,
1567-68 में महाराज शक्तिसिंह को जब जानकारी मिली कि अकबर चितौड़ पर आक्रमण करने जा रहा है तो महाराज शक्तिसिंह ने ही सर्वप्रथम आकर सूचना दी थी कि अकबर मेवाड़ पर आक्रमण कर सकता है इसके परिणामस्वरूप ही मेवाड़ राजपरिवार सुरक्षित रह पाया,
1576 हल्दीघाटी युद्ध में खुरासान व मुल्तान दो मुगल सैनिकों को मारकर प्रताप की रक्षा करते है और स्वयं का घोड़ा भेंटकर युद्ध क्षेत्र से सकुशल निकलने में मदद करते है,महाराणा प्रताप महाराज शक्तिसिंह व उनके वंशज शक्तावतों को राणा वल्लभ की उपाधि प्रदान करते है,"राणा वल्लभ" का अर्थ है राणा का अत्यंत प्रिय
आज के समय में महाराणा प्रताप बनना मुश्किल है लेकिन महाराज शक्तिसिंह बन सकते है कि भाई को आवश्यकता पड़ने पर भाई के साथ खड़े रहे।
ओ भाई प्रताप रो पुस्तक में महाराणा प्रताप व महाराज शक्तिसिंह पर एक दोहा है
।।"धन धन माँ मेवाड़ भू,धन धन भारत देश... धर राखण पातळ जणे,पत्तो राखण शगतेष"।।
इसका भावार्थ धन्य है मातृभूमि मेवाड़ को एवं धन्य है भारत देश को जो धरती की रक्षार्थ प्रताप पैदा करती है तथा प्रताप की रक्षा के लिए शक्तिसिंह जैसे नर शार्दूल को जन्म देती है।






