त्रिवेदी धाम प्रयागराज में संगम स्थल पर बजरंगधाम झड़ाया द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन
उदयपुरवाटी (सुमेर सिंह राव) त्रिवेदी धाम प्रयागराज में संगम स्थल सेक्टर नम्बर 21 खाक चोक पर बजरंगधाम के महंत श्री श्री 108 सीताराम दास जी के सानिध्य में पचलंगी, झड़ाया नगर, सिरोही, गोविंदपुरा, दलेलपुरा, पापड़ा, बगोली , कटलीपुरा व आसपड़ोस के गॉव ढाणियों के लोगो के जन सहयोग से शेखावाटी के बजरंगधाम झड़ाया द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। जहाँ रोज 4-5 हजार श्रद्धालु शुद्ध देशी घी में बना प्रशाद ग्रहण करते हैं।
इस महाकुम्भ के अनक्षेत्र में भगतों द्वरा दान किया गया एक एक अन का दाणा सोने की मोहर से ज्यादा कीमती है । इस शुभ अवसर पर जो भी भगतगण दान करते है उनको महापुण्य प्राप्त होता है इस लिए देश से करोड़ो की संख्या में लोग महाकुम्भ में श्रद्धापूर्वक दान करते है। इस भंडारे में समाजसेवी मदनलाल भावरिया, भगवान सहाय यादव, मुक्तिलाल सनी, मांगेलाल सहित अनेक भगतगण निरन्तर भंडारे में तन मन धन से अपनी सेवाएं प्रदान कर पूण्य कम रहे हैं। जगदीस जाखड़, रामोतार गजराज, कैप्टन राम निवास ताखर सहित अनेक भगतगण तन मन धन से अपनी सेवाएं देकर वापिस चले गए और रोज नए नए भगतगण सेवाओं के लिए यहाँ आ रहे हैं ये भंडार 03 फरवरी निरन्तर तक जारी रहेगा।
इस भंडारे में हरियाणा के हलवाइयों द्वारा देसी घी में प्रसाद तैयार किया जाता है जिस में सुबह बाल भोग में कभी खिचड़ी, कभी हलवा तो कभी बूंदी नमकीन दी जाती है, दोपहर में लोग पंगत में स्टील की थालियों में प्रदास में लड्डु, चावल, पूड़ी, रोटी व दाल सब्जी तथा सायंकाल बूंदी, चावल, पूड़ी, रोटी व दाल सब्जी और कभी मालपुआ तो कभी हलवा पाते हैं। ये भंडारा शेखावाटी के लोगो के जन सहयोग से चल रहा है। इसमें कई विदेशी श्रद्धलु भी प्रसाद ग्रहण करते हैं । कुछ श्रद्धालु यहाँ कि व्यवस्था व प्रसाद की गुणवत्ता को देखकर बहुत प्रभावित होते हैं और अपनी और से आर्थिक सहयोग भी करते हैं । आज तृतीय वाहनी एसएसबी लखीमपुर खीरी के निरीक्षक अपने साथियों के साथ यहाँ आये और 5100 रुपये का आर्थिक सहयोग किया । ऐसे रोजाना कुछ लोग आर्थिक सहयोग करते हैं।
समाजसेवी मदनलाल भावरिया ने बताया कि ये महाकुम्भ का सयोग 144 साल के बाद आया है। ये देश विदेश के सभी साधुसंतों के संगम का प्रतीक है । इसमें बिना जाती धर्म व सम्प्रदाय के भेदभाव के सभी महिला पुरुष एक साथ आस्था की डुबकी लगाकर विश्व मंगल कामना करते हुए प्रसाद ग्रहण करते है। उन्होंने आगे बताया कि महाकुम्भ सनातन धर्म की रीढ़ है तथा देश के सभी सम्प्रदायों के संतों का संगम है जिस में बिना जाती, धर्म व लिंग भेदभाव के एक मंच पर विश्व ल्याण व भाई चारे की भावना प्रकट होती है। धर्म शास्त्रों में बताया है कि गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम पर स्नान करने से पापों का नाश होता है तथा ज्ञान भगती व वैराग्य प्रप्त होता है ।