कृषि विज्ञान केंद्र नौगांवा द्वारा अकलीम पुर गांव में सरसों की उन्नत किस्म पर प्रक्षेत्र दिवस का किया गया आयोजन
रामगढ़ (अलवर) कृषि विज्ञान केंद्र नौगांवा के तत्वावधान में सरसों की उन्नत किस्म आर एच 725 पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन गांव अकलीम पुर में सरसों की उन्नत प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. सुभाष चंद्र यादव ने सरसों की फसल में लगने वाले एफिड कीट, सफेद रोली, तना गलन, और पत्ती धब्बा रोग जैसी समस्याओं की पहचान और उनके नियंत्रण के बारे में उपाय बताए। डॉ. यादव ने एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) तकनीकों के तहत फेरोमोन ट्रैप, ट्रैप क्रॉपिंग, और जैविक कीटनाशकों के उपयोग पर जोर दिया। किसानों को सलाह दी गई कि वे रासायनिक कीटनाशकों के अनावश्यक उपयोग से बचें और सतत कृषि पद्धतियों को अपनाकर उत्पादन लागत को कम करें। इस किस्म की उच्च उपज क्षमता, रोग प्रतिरोधक क्षमता, और जलवायु सहनशीलता इसे किसानों के लिए लाभकारी बनाती हैं।
कृषि विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. हंसराम माली ने सरसों की फसल में पोषण तत्वों की आवश्यकता और सही प्रबंधन पर जोर दिया।डॉ. हंसराम माली ने बताया कि RH 725 किस्म से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सल्फर जैसे पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग आवश्यक है। विशेष रूप से सल्फर का प्रयोग तैलीय फसलों की गुणवत्ता और उपज बढ़ाने में सहायक होता है।
उन्होंने खरपतवार नियंत्रण के जैविक और रासायनिक उपायों पर भी चर्चा की और बताया कि समय पर खरपतवार प्रबंधन करने से सरसों की उपज में 15-20% तक वृद्धि संभव है ।वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता पुष्कर देव ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और उनसे निपटने के लिए कृषि अनुकूलन तकनीकों की जानकारी दी। कृषकों को निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाने की सलाह दी गई: मल्चिंग, फार्म पोंड्स और वर्षा जल संचयन। स्प्रिंकलर और ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग। सूखा और अधिक तापमान सहने वाली किस्मों का चयन। एकल फसल पर निर्भर न रहकर मिश्रित खेती अपनाना। इस दौरान कार्यक्रम में नौगांव केंद्र की तकनीकी सहायक आशा महावत भी उपस्थित रही, एवं गांव के 62 महिला एवं पुरुष किसान उपस्थित रहे।






