रामगढ़ विधानसभा में चुनावी बिसात तैयार:आमजन के सामने होंगे जल्द ही उम्मीदवार
गोविंदगढ़ अलवर(अमित खेड़ापति)
राजस्थान के अलवर जिले में रामगढ़ विधानसभा में मंच लगभग तैयार है जहां पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी अपनी दावेदारियां पेश कर रहे हैं। भाजपा से जहां नए-नए चेहरे देखने को मिल रहे हैं जिनमें से तो कुछ पैराशूट उम्मीदवार नजर आ रहे हैं वहीं कांग्रेस में भी नए चेहरे अपनी दावेदारी पेश कर चुनावी टिकट मांग रहे हैं
रामगढ़ विधानसभा सीट बीजेपी के लिए हिंदुत्व की प्रयोगशाला के तौर पर देखी जाती रही है। लेकिन 2018 के चुनाव में तीन बार के विधायक ज्ञानदेव आहूजा का टिकट काटकर भाजपा ने सुखवंत सिंह को टिकट दिया था। और उस चुनाव में सियासी रूप में उनका साथ ज्ञानदेव आहूजा को जरूरी था। लेकिन इसके विपरीत जाते हुए उन्होंने सांगानेर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक दी थी। हालांकि पार्टी के जवाब में उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो उनका साथ रामगढ़ विधानसभा में सुखवंत सिंह को नहीं मिला था।
रामगढ़ विधानसभा सीट से जहां कांग्रेस ने जुबेर खान को टिकट ना देकर साफिया खान को टिकट दिया था और यहां पर परिवारवाद साफ नजर आया क्योंकि पार्टी में और भी चेहरे थे जिन्हें पार्टी ने नजरअंदाज किया था गौरतलब है कि जुबेर खान लगातार दो बार चुनाव हारे थे जो कि पार्टी गाइडलाइन के हिसाब से टिकट के दावेदार नहीं थे। साफिया खान ने यूं तो चुनाव जीत लिया था लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो सरकार कांग्रेस की थी फिर भी भाजपा के प्रत्याशी सुखवंत सिंह ने कड़ी टक्कर दी।
2018 के चुनाव में रामगढ़ विधानसभा में करीब ढाई लाख मतदाता थे इसमें लगभग 50 हजार मुस्लिम वोटर थे। और अब इन वोटों की गिनती भी बढ़ चुकी है और चुनाव में वोटरों को अपनी ओर लुभाने के लिए उम्मीदवारों को और भी ज्यादा मशक्कत करनी पड़ेगी। कहना गलत नहीं होगा कि रामगढ़ विधानसभा में इस बार युवाओं के मत चुनाव में निर्णायक जरूर साबित होंगे ।
हालांकि दोनों राजनीतिक दल परिवारवाद को बढ़ावा देने से इनकार करते हुए नजर आ रहे हैं लेकिन भाजपा की ज्ञानदेव आहूजा के भतीजे जय आहूजा अब चुनावी ताल ठोकते हुए रामगढ़ विधानसभा से भाजपा के टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन जहां ज्ञानदेव आहूजा का विरोध करते हुए यहां की जनता ने उन्हें 2018 के चुनाव के लिए नकार दिया था तो क्या अब उनके भतीजे को भाजपा के टिकट पर यहां की जनता स्वीकार कर पाएगी यह तो पार्टी के पदाधिकारी ही बेहतर बता सकते हैं। क्योंकि रामगढ़ विधानसभा में मुद्दों के आधार पर ज्ञानदेव आहूजा का विधायक रहते हुए यहां पर आमजन के द्वारा विरोध किया गया था साथ ही क्षेत्र में विकास कार्य नहीं कराने के कारण आम जनता में भी रोष देखने को मिला था।
वहीं कांग्रेस की विधायक साफिया जुबेर खान के द्वारा रामगढ़ विधानसभा में विकास के कार्य कराने के बाद भी विरोध देखने को मिल रहा है इसको लेकर पार्टी के पदाधिकारी भी चिंतित नजर आ रहे हैं साथ ही इस बार कार्यकर्ता जुबेर खान को टिकट दिए जाने के लिए लगातार दबाव बनाए हुए हैं जिसको लेकर जुबेर खान के साथ एक प्रतिनिधिमंडल भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिला था यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि शायद पहली बार ही जुबेर खान को अपने टिकट की दावेदारी के लिए प्रतिनिधिमंडल को लेकर मुख्यमंत्री से मिलना पड़ा।
इसके अलावा आम आदमी पार्टी ,बहुजन समाज पार्टी,एआईएमआईएम भी रामगढ़ विधानसभा से अपने प्रत्याशी उतारने के लिए तैयार है जोकि दोनों राजनीतिक दलों के गणित हो जरूर बिगाड़ने में सक्षम है।
यूं तो कांग्रेस पार्टी से टिकट के दावेदार कम है और भारतीय जनता पार्टी के टिकट के दावेदार अधिक हैं लेकिन रामगढ़ विधानसभा में इस बार चुनाव रोचक होने की पूरी संभावनाएं नजर आ रही हैं और रामगढ़ विधानसभा की जनता की एक ईच्छा जहां पर जाहिर होती नजर आ रही है कि उन्हें विधायक स्थानीय चाहिए चाहे वह किसी भी पार्टी से आए और नारा दिया जा रहा है अबकी बार स्थानीय उम्मीदवार ।