पडासली आचार्य श्री महाश्रमण का जन्म दिन मनाया
मां अपने नवजात शिशु को आध्यात्मिक लोरी से संस्कारित करने से वह महान बनता है। मुनि प्रसन्न

राजसमंद (पप्पू लाल कीर) पडासली तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमण का जन्म दिन मनाया । मुनि प्रसन्न कुमार ने आचार्य श्री महाश्रमण जी के 64वें जन्म दिन पर जन संबोधन में कहा- वह मां धन्य हो जाती है। जिस की एक संतान भी पर मार्थ के मार्ग पर चली जाती है। राजस्थान सरदारशहर में दूगर परिवार ओसवाल कुल में मां की कुक्षी से जन्मा 6 भाईयो में मोहन मोहन नाम से जाना गया।
मां ने जन्म के साथ मोहन बेटे को आध्यात्मिक लोरी दी जिस से 12 वर्ष 6 महा की उम्र में ही ही संन्यास मार्ग पर चल पड़ा । मोहन दीक्षा लेले ही मुनि मुदित बन गये तुलसी गुरु की आज्ञा से मुनि सुमेर मल (लाडनूं) ने इन को वेरागी बना कर अपने हाथ से 52 वर्ष पूर्व मुनि बना दिया ।इतनी छोटी उम्र में इतने बड़े धर्म संघ की बागडोर गुरु तुखसी और महाप्रज्ञ ने इन के सक्षम कंधों पर डाल दी।
आज के युग में बड़े बड़े धर्म संघों आचार्य को भी योग्य शिष्य नहीं मिलते हैं। तेरापंथ धर्म संघ में एक गुरु की परम्परा में योग्य एवं सक्षम उत्तराधिकारी मिलना सो भाग्य की बात है ।
आचार्य श्री महाश्रमण जी की मां ने बेटा मोहम को दीक्षित होते समय कहा में बेटा तूने मेरा दूध पिया है। महान महात्मा बनने जा रहा है। तुम एक ध्यान रखना मेरे दूध को लाचित करने वाला काम मत करना जो मा अपनी संतान को चरित्र संपन्न रहने की शिक्षा संस्कार देती है । वह धन्य बन जाती है ।
आज के युग में ज्वलंत प्रश्न है। ऐसे माता पिता को न है। कुल-और-परिवार को लजित न कर ने की हित शिक्षा देते हो ? जन्मदिन लोग मनात है। केक काटते दीपक चलाने के वनिस्थन बजा कर इवि श्री कर देते हैं । जलाने के त्याग, संयम की बात छुट्जाती है।
मुनि श्री प्रकाश कुमार जी ने आचार्य श्रीमहाश्रमण जी के मौलिक गुणों का वर्णन करते हुए कहा- विनय, विवेकाविद्या सहिष्णुता, अप्रमत जागरुक जीवन में विकाश किया सागर मह विकाश किया। मुनि धैर्य कुमार, गुणसागर ने विचार रखे ।






