आयुष्मान आरोग्य मंदिर चिमरावली गोड मे योग प्रशिक्षक ने कराया योग

लक्ष्मणगढ (अलवर/कमलेश जैन ) सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी आसम दीन ने बताया कि राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कजोता में आयुष्मान आरोग्य मंदिर चिमरावली गोड योग प्रशिक्षक दुष्यंत कुमार शर्मा (आम ) द्वारा योगाभ्यास कराया योग सत्र में कहा कि योग एक जीवन दर्शन है , योग आत्मानुशासन है , योग एक जीवन पद्धति है , योग व्याधि मुक्त व समाधि युक्त जीवन की संकल्पना है । योग आत्मोपचार एवं आत्म दर्शन की श्रेष्ठ आध्यात्मिक विद्या है । योग व्यक्ति को वामन से विराट बनाने की या समग्र रूप से स्वयं को रूपान्तरित एवं विकसित करने की आध्यात्मिक विद्या है । योग मात्र एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति नहीं है , अपितु योग का प्रयोग परिणामों पर आधारित एक ऐसा प्रमाण है, जो व्याधि को निर्मूल करता है अतः यह एक ऐसा सम्पूर्ण चिकित्सा शास्त्र है, जो केवल शारीरिक रोगों का ही नहीं , बल्कि मानसिक रोगों का भी निवारण करता है ।
योग एलोपैथी की तरह कोई लाक्षणिक चिकित्सा नहीं , अपितु यह रोगों के मूल कारण को दूर कर हमें भीतर से स्वस्थता प्रदान करता है । योग को मात्र एक व्यायाम की तरह देखना या वर्ग विशेष की पूजा पाठ की एक पद्धति की तरह देखना संकीर्णता पूर्ण , अविवेकी दृष्टिकोण है । स्वार्थ , आग्रह , अज्ञान एवं अहंकार से ऊपर उठकर योग को हमें एक सम्पूर्ण विज्ञान के रूप में देखना चाहिए । योग की पौराणिक मान्यता है कि इससे अष्टचक्र जाग्रत होते हैं। एवं प्राणायाम के निरन्तर अभ्यास से जन्म जन्मान्तर के संचित अशुभ संस्कार व पाप परिक्षीण होते हैं ।
योग प्रशिक्षक ने योग सत्र में योग के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग से जीवन का सर्वांगीण विकास, आध्यात्मिक, नैतिक, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, व्यक्तिक निर्माण, क्लेशों की निवृत्ति, तापों की निवृति ,दिव्यता की प्राप्ति, व्यवहार एवं चरित्र की शुद्धि आदि तत्वों की प्राप्ति होती है।इसलिए हमें नियमित रूप से योग कर शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने की प्रेरणा स्वतः ही योग से मिल जाती है, इस अवसर पर प्रधानाध्यापक सहित स्टाफ के अध्यापक अध्यापिकाएं एवं छात्र छात्राएँ मौजूद रहे ।






