सत्य, अहिंसा, शान्ति व प्रेम के प्रतीक: महान सन्त शिरोमणि सेन महाराज

Apr 24, 2025 - 17:31
 0
सत्य, अहिंसा, शान्ति व प्रेम के प्रतीक: महान सन्त शिरोमणि सेन महाराज

गुरलाँ (सत्यनारायण सेन ) सेन जयंती पर सत्यनारायण सेन गुरलाँ की जुबानी  जब-जब भारत भूमि पर आदमी अज्ञान के अंधेरे में भटका है, तब-तब इस पवित्र धरती पर महान आत्माओं ने जन्म लेकर ज्ञान की रोशनी बिखेरी है। जिससे मनुष्य जाति सही रास्ते पर चल सके और जीवन सार्थक बना सके। ये आत्माएं मनुष्य के रूप में धरती पर जन्मी, मगर इनके सत्कर्मों के कारण इनको भगवान का दर्जा देकर पूजन शुरू कर दिया। लगभग पांच सौ वर्ष पहले इस धरती पर एक महान संत सेन महाराज का अवतरण हुआ जिससे बांधवगढ़ की प्रसिद्धि और बढ़ गई। 

भक्तमाल के सुप्रसिद्ध टीकाकार प्रियदास के अनुसार संत शिरोमणि सेन महाराज का जन्म विक्रम संवत 1557 में वैशाख कृष्ण-12 (द्वादशी), दिन रविवार को वृत योग तुला लग्न पूर्व भाद्रपक्ष को चन्दन्यायी के घर में हुआ। बचपन में इनका नाम नंदा रखा गया। नंदा बचपन से ही विनम्रदयालु और ईश्वर में दृढ़ विश्वास रखते थे।

 सेन महाराज ने गृहस्थ जीवन के साथ-साथ भक्ति के मार्ग पर चलकर हमें यह संदेश दिया कि मनुष्य दृढ़ संकल्प करके अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहे तो भक्ति के कर्म पर अटूट विश्वास के साथ अपना जीवन उत्कृष्ट बना सकता है।

नंदाजी सेन का जीवन स्वजातीय कर्म, साधु सत्संग और ईश्वर आराधना में व्यतीत होता था। ये साधु सत्संग प्रेमी थे। इनकी विशेषताएं मानव जीवन के लिए अनमोल रत्न हैं। मध्यकाल के संतों में सेन महाराज का स्थान इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इन्होंने भारतीय संस्कृति के अनुरूप जनमानस को शिक्षा और उपदेश के माध्यम से एकरूपता में पिरोया। 

उन्होंने पवित्र एवं सात्विकता के साथ-साथ अत्यंत प्रभावपूर्ण व मार्मिक नंदाजी सेन का जीवन स्वजातीय कर्म, साधु सत्संग और ईश्वर आराधना में व्यतीतसंदेशों से लाखों लोगों में एक नवीन आत्मविश्वास और चेतनारूपी ऊर्जा को प्रवाहित किया। सेन महाराज का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली हो गया था कि जनसमुदाय स्वतः ही उनकी ओर खिंचा चला आता था। वृद्धावस्था में सेन महाराज काशी चले गए और वहीं कुटिया बनाकर रहने लगे और लोगों को उपदेश देते रहे। वह क्षेत्र जहां सेन महाराज रहते थे सेनपुरा के नाम से जाना जाता है। सेन महाराज प्रत्येक जीव में ईश्वर का दर्शन करते और सत्य, अहिंसा तथा प्रेम का संदेश जीवन पर्यन्त देते रहे। ज्ञात हो कि बिलासपुर-कटनी रेल लाइन पर जिला उमरिया से 32 किलोमीटर की दूरी पर बांधवगढ़ स्थित है। तत्कालीन रीवा नरेश वीरसिंह जूदेव के राज्य काल में बांधवगढ़ का बड़ा नाम था। संत शिरोमणि सेन महाराज की जयंती पर उन्हें नमन।

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

एक्सप्रेस न्यूज़ डेस्क बुलंद आवाज के साथ निष्पक्ष व निर्भीक खबरे... आपको न्याय दिलाने के लिए आपकी आवाज बनेगी कलम की धार... आप भी अपने आस-पास घटित कोई भी सामाजिक घटना, राजनीतिक खबर हमे हमारी ई मेल आईडी GEXPRESSNEWS54@GMAIL.COM या वाट्सएप न 8094612000 पर भेज सकते है हम हर सम्भव प्रयास करेंगे आपकी खबर हमारे न्यूज पोर्टल पर साझा करें। हमारे चैनल GEXPRESSNEWS से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद................