मां ने मातृत्व के साथ की क्रूरता ,मां ने कोख से जन्मी औलाद को ही किया नजरअंदाज

*ये कैसा आधुनिक प्यार* थानेदार की समझाइस भी गई व्यर्थ*मां ने मातृत्व के साथ की क्रूरता ,मां ने कोख से जन्मी औलाद को ही किया नजरअंदाज

Sep 9, 2020 - 12:40
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मां ने मातृत्व के साथ की क्रूरता ,मां ने कोख से जन्मी औलाद को ही किया नजरअंदाज

अलवर

भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में रच बस कर दुनिया को भक्ति की उपयोगिता का पैगाम देने वाली एक वो मीरा भी थी लेकिन यहां जिले के ततारपुर थाना इलाके की एक अनपढ़ लेकिन  आधुनिक  महिला मीरा को अपने तीन वर्ष के बच्चे की परवरिश को नजरअंदाज कर प्यार में "ऐसी लागी लगन, मीरा हो गई मगन"..... लेकिन मीरा की यह लगन कतई किसी को रास नहीं आई।आधुनिकता की चकाचौंध में रहने वाली यह महिला सिर्फ दिखावे के लिए ही मानसिक नहीं बल्कि शारीरिक रूप से ही अपने ड्राइवर पति के साथ रहती थी।पति की आंखों के सामने अपनी अर्धांगिनी की वास्तविकता जब नजर आई तब वह अपने मित्र ड्राइवर के साथ तीन साल के बच्चे को छोड़कर फरार हो गई
*कहा जाता है कि माँ शब्द  विस्तृत है।माँ का साया,ममता,दुलार में ही तमाम मासूम बच्चे,जवान और अधेड़ हो जाते है लेकिन शायद ही माँ कोई  कर्ज  चुका पाता हो लेकिन आएदिन फरार हो रही आधुनिकता महिलाओं ने मां शब्द को ही खोखला कर  झकझोर कर रख दिया है।

असल में मीरा नाम की महिला का पति ट्रक ड्राइवर है।उसी के साथ ट्रक पर एक अन्य ड्राइवर भी था जिस वजह से उस ड्राइवर का मीरा के घर आना जाना लगा रहता था।मीरा और उस ड्राइवर की अधिक नजदीकी बढ़ाने का माध्यम रहा एंड्रॉयड मोबाइल।दोनों में कुछ समय बाद ही घनिष्ठ रिश्ते हो गए और एक दिन दोनों तीन साल के मासूम बच्चे को छोड़कर परिवार और ग्रामीणों की आंखों में धूल झोंकर फरार हो गए।पति रोता बिलखता ततारपुर थाना प्रभारी विजय कुमार चंदेल के पास पहुंचा और सारी व्यथा बताई।थानाधिकारी ने अपनी टीम के सहयोग से कुछ दिन बाद ही आधुनिक सती सावित्री महिला मीरा को दस्तयाब कर लिया।चंदेल ने महिला को  तीन साल के मासूम बच्चे के भविष्य को लेकर महिला को काफी समझा कर वापस पति के घर लौटने की नसीहत दी लेकिन महिला ने अपने पति पर अनगिनत बेबुनियाद आरोप लगाकर वापस लौटने से साफ इंकार कर दिया। थाने में मीरा के पीहर और ससुराल पक्ष के लोगों को भी बुलाया गया लेकिन उसने सभी के सामने  लाज को खूंटी पर टांग कर साफ कहा,  प्यार की खातिर उसके लिए बच्चे की कोई अहमियत नहीं है।अब जीना-मरना है उसी के संग।

यह भी गोर करने लायक है कि पाश्चात्य संस्कृति में रची बसी मीरा इससे पूर्व भी फरार हो चुकी थी लेकिन ग्रामीण कल्चर में रहने के बाद भी देवता समान पति ने अपनी पत्नी की तमाम खामियों पर पर्दा डालकर उसे घर में पनाह दी थी।उसके पति की महानता देखिए वह दुबारा फरार हो गई फिर भी उसका नासमझ पति उसे एक और मौका राजी राजी देने के लिए कोशिश कर रहा था लेकिन मीरा पति को तवज्जो ही नहीं दे रही थी।हो सकता है मीरा के दो बार नहीं जिंदगीभर भागने के बाद भी उसका सुलझा हुआ पति हर बार मौका देता रहे।

      *राजीव श्रीवास्तव*

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