106 डिग्री फारेनहाइट बुखार से पीड़ित की दातागंज चिकित्सा अधीक्षक ने बचाई जान

प्रचंड गर्मी के शिकार हो रहे लोग अस्पतालों में फारेनहाइट बुखार उल्टी-दस्त, डायरिया के मरीजों की बड़ी संख्या

Jun 1, 2024 - 19:18
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106 डिग्री फारेनहाइट बुखार से पीड़ित की दातागंज चिकित्सा अधीक्षक ने बचाई जान

बदायूँ (यूपी/अभिषेक वर्मा)   भीषण गर्मी के साथ अस्पतालों की ओपीडी में बुखार, उल्टी-दस्त और डायरिया के मरीजों की तादाद भी बढ़ गई है। डॉक्टरों के मुताबिक, बीते कुछ दिनों से 30 फीसदी ज्यादा मरीज आ रहे हैं। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी बाल रोग विभाग की ओपीडी में हुई है। बच्चों में बुखार के साथ गर्मी के मौसम के संबधित बीमारीयों की समस्या हो रही है। यह बुखार ठीक होने में पांच से सात दिन का समय लग रहा है। वही दातागंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दिन शुक्रवार को एक मरीज अपने परिजनों के साथ फारेनहाइट बुखार सें पीड़ित आया, मरीज रो रहा था उसके साथ आए परिजनों का भी बुरा हाल था, मरीज के परिजन डॉक्टर साहब बचा लो यह बोल रहें थे, मरीज को सुनते ही, आते देखते ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दातागंज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रिद्घेश भसीन अपनी सीट छोड़ कर  दातागंज तहसील के ग्राम जमालपुर से आए 14 वर्षीय मरीज शिवम के इलाज करने कों लेकर सीनियर फार्मासिस्ट श्रीपाल सिंह के साथ खुद जुट गए, बुखार चेक किया गया तो मरीज को 106 फारेनहाइट बुखार था, मरीज के परिजनों को हिम्मत देते हुए चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रिद्घेश भसीन मरीज के उपचार में जुटे रहें, मरीज का बुखार 104 पंहुचा, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रिद्घेश भसीन ने अपने स्टॉफ को निर्देशित कर फ़ौरन आइस पैक  मांग कर, सीनियर फार्मासिस्ट श्रीपाल सिंह ने मरीज के शरीर पर रखते हुए, ठंडे पानी के वाटर फागिंग स्प्रे कराया किया, कुछ समय में मरीज नार्मल हो गया, जिसके बाद मरीज के परिजन दवाइयां लेकर मरीज की छुट्टी करा कर घर ले गए, घर जाते हुए मरीज के परिजन दातागंज चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रिद्घेश भसीन,सीनयर फार्मासिस्ट श्रीपाल सिंह को भगवान का भेजा हुआ देवदूत कहते हुए दोनों की लंबी उम्र की कामना करते नज़र आए । इस संबंध में हमारे संवाददाता अभिषेक वर्मा द्वारा अन्य मरीजों सें इस घटना के संबध में वार्ता की गई उन्होंने बताया सबसे पहले यह कहना है कि ऐसे चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रिद्घेश भसीन जैसे हमने कही नहीं देखे जिन्होंने आज मरीज की जाती जान को बचा लिया, यह आज इस बीमार लड़के के लिए संकट मोचन साबित हुए है, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रिद्घेश भसीन ने बताया कि  शरीर का बढ़ा हुआ तापमान एंजाइमों को विकृत कर सकता है। यह विभिन्न प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने की कोशिका की क्षमताओं में हस्तक्षेप करेगा। विकृतीकरण एक प्रोटीन के 3 आयामी आकार का काफी हद तक अपरिवर्तनीय परिवर्तन होता है । जब कोशिका में एंजाइम विकृत हो जाते हैं तो कोशिका मर सकती है क्योंकि यह महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को पूरा करने में असमर्थ होती है। मेरी तो यह सलाह है, कि गर्मी में बुखार आदि मौसमी बीमारी सें बचाव के लिए जितना हो सके घर से बाहर न निकलें। कोई जरूरी काम होने पर अगर बाहर निकलना पड़े तो सिर को ठीक तरह से ढक लें, इसके अलावा रोजाना औसतन सात से आठ लीटर पानी जरूर पिएं। ताजी हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। नारियल पानी व फलों का सेवन अधिक करें। पानी में ओरआरएस डालकर पिएं। गर्मी में बुखार आने की वजह यह है कि मौसम और हमारा बिहेवियर  इस बुखार के लिए जिम्मेदार है, तेज गर्मी की वजह से, बारिश न होने के कारण तेज धूप में लू के थपेड़े  परेशान कर रहें है, इन सब चीजों से निजात पाने के लिए लोग शॉर्टकट अपनाते हैं धूप सें आ कर ठंडा पानी पीना, ठंडी कोल्ड ड्रिंक पीना, धूप सें आकर सीधे एसी में बैठना, एसी से एक साथ धूप में जाना, धूप से आने के बाद तुरंत ही पानी सें हाथ मुँह धोना और सिर गीला करना, यही आदतें  सर्दी खांसी बुखार समस्या पैदा करती हैं।  आदतों को बदलेंगे तभी स्वस्थ रहेंगे।

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