बच्चों की मेंटल और ब्रेन हेल्थ दोनाें को नुकसान पहुंचा रहा है , स्मार्ट फोन का ज्यादा इस्तेमाल.

Feb 27, 2025 - 18:49
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बच्चों की मेंटल और ब्रेन हेल्थ दोनाें को नुकसान पहुंचा रहा है , स्मार्ट फोन का ज्यादा इस्तेमाल.
प्रतीकात्मक फोटो

लक्ष्मणगढ़ (अलवर/ कमलेश जैन) आज के दौर में मोबाइल भी एक अधुनिक फैशन बन चुका है। फिर चाहे बच्चा हो, बड़ा हो या बुजुर्ग, कोई भी इसके प्रयोग से अछूता नहीं रहा। एक नहीं बल्कि दो-दो मोबाइल का प्रयोग ट्रेंड बनता जा रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं छोटे बच्चों को खाना खिलाने या शांति से बैठाए रखने के लिए भी अकसर लोग उन्हें स्मार्ट फोन पकड़ा देते हैं। जबकि कि मोबाइल फोन बच्चे की हेल्थ को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है।ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि मोबाइल से बच्चा नई टैक्नोलॉजी के बारे में सीखता है, लेकिन यह भी सच है कि इसके प्रयोग से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर असर पड़ता है। मोबाइल का प्रयोग दिमाग की रफ्तार को कम करने के साथ साइबर , डिप्रेशन और स्ट्रेस जैसी समस्या को भी जन्म देता है।  

स्वास्थ्य संगठन - हाल में डब्लूएचओ की रिपार्ट पर लिखा है कि दो से चार साल के बच्चे को एक दिन में एक घंटा स्क्रीन टाइम होना चाहिए। चार से अधिक के लिए दो घंटे हर दिन सही है। इससे अधिक प्रयोग से आंख के साथ मेंटल हेल्थ पर प्रभाव दिखने लगता है

स्मार्ट फोन के कारण समस्याएं

  • 1 कमजोर हो सकती है आंखों की रोशनी

स्मार्टफोन के प्रयोग से वयस्क और बच्चे दोनों में दिक्कत हो सकती है।आपको आंख का दर्द, धुंधलापन, सिरदर्द, आंख में सूखेपन का एहसास हो सकता है। विश्वविद्यालय में एक शोध के अनुसार 7 से 16 वर्ष के अधिकांश बच्चे जिन्होंने स्मार्टफोन में अधिक समय बिताया था वे तिरछी नजर वाले हो गए। चार घंटे अधिक समय बिताने से क्रॉस आई होने की समस्या सबसे अधिक होती है। फोन से 30 मिनट के अंतराल एक गैप लेना चाहिए।

  • 2 बढ़ सकता है ट्यूमर का खतरा

स्मार्टफोन के अधिक प्रयोग से ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है। स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए क्वालिटी टाइम के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करें। बच्चों को बोरियत न महसूस हो इसके लिए उनके साथ अधिक समय बिताएं।

  • 3 भावनात्मक रूप से अस्थिर हो रहे हैं बच्चे

स्मार्टफोन बच्चों को सोशल मीडिया का आदि बना देता है। इंटरनेट की दुनिया बहुत बड़ी है। इसमें बच्चे की मेंटल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।साइकोलॉजिकल सोसाइटी के अनुसार सोशल मीडिया का प्रयोग करने वालो बच्चों में अवसाद, चिंता, नींद पूरी न होने की समस्या होती है। ऐसे में माता-पिता को बच्चो को मोबाइल के नकारात्मक प्रभावों को बताकर इससे दूर रखना चाहिए।

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