गौ शालाओं में संधारित गौ वंश के ग्रीष्म ऋतु एवं लू-प्रकोप से बचाव हेतु एडवाईजरी

भरतपुर, (कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) प्रदेश में ग्रीष्म ऋतुकाल एवं संभावित लू-प्रकोप से गौवंश के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्थाओं के संबंध में प्राकृतिक परिवर्तनों के प्रभाव से गौवंश को स्वस्थ रखने व रखरखाव, पोषण एवं स्वास्थ्य रक्षा हेतु पशुपालन विभाग द्वारा एडवाईजरी जारी की गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा गौ शालाओं में संधारित गौ वंश के संरक्षण हेतु विभिन्न योजना संचालित की जा रही हैं तथा इनके भरण-पोषण हेतु अनुदान भी दिया जाता है। संयुक्त निदेशक पशुपालन डॉ. खुशीराम मीना ने बताया कि जिले के समस्त गौ शाला व्यवस्थापकों / गौपालकों को तापघात से गौवंश को बचाने के सम्बन्ध में एडवाइजरी जारी की गई है। उन्होंने बताया कि गौवंश को धूप एवं ताप/लू से बचाने के लिए गौ शाला संचालक संधारित गौवंश हेतु पर्याप्त छाया की व्यवस्था करें तथा शैड को गर्म हवाओं से प्रकोप से बचाने के लिए तिरपाल अथवा टाट/बोरे से ढकें। इसी प्रकार गौवंश हेतु पर्याप्त मात्रा में चारा, भूसा एवं पशु आहार की व्यवस्था हेतु गौ शाला प्रवंधन समुचित व्यवस्था करें। उन्होंने बताया कि गौ वंश को दिन में कम से कम चार बार ठण्डा, शुद्ध एवं पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराया जाना चाहिये। बीमार तथा आशक्त गौ वंशौ हेतु संबंधित पशु चिकित्सा कार्मिकों की देखरेख में उपचार की व्यवस्था की जाये।
संयुक्त निदेशक ने बताया कि गौशालाओं में संधारित गर्भवती एवं असहाय गौवंश की विशेष देखभाल की जाये एवं आवश्यकता पडने पर चिकित्सकीय उपचार की व्यवस्था की जाये। गौ शाला में आगजनी से गौ वंश के बचाव के समुचित प्रबंधन किये जाये। उन्होंने बताया कि मृत गौवंश का निस्तारण यथाशीघ्र सुरक्षित एवं सम्मानजनक ढंग से किया जाये जिससे गर्मी के कारण शव का पुट्रीफिकिशन (विपुटन) न होने पाये और बीमारी का खतरा न पैदा हो।






