सफाई कर्मियों की हड़ताल खत्म हो जाने के बाद भी जगह–जगह लगे गंदगी के ढेर
खैरथल (अलवर, राजसस्थान/ हीरालाल भूरानी) खैरथल कस्बे को राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जिला बनाने की घोषणा की हो परन्तु स्थानीय प्रशासन नागरिकों को स्वच्छ मार्ग तक देने में असहाय महसूस कर रहा है। मात्र दो दिन की सफाई कर्मियों की हड़ताल के बाद सफाई कर्मियों के ड्यूटी पर लौटने पर भी सफाई व्यवस्था सामान्य नहीं हो पाई है। कस्बे के झूलेलाल मंदिर, किशनगढ़ बास रोड बस स्टैंड और राउप्रावि आनन्द नगर के कमरों की खिड़कियों के पीछे, आनन्द नगर के ही स्वर्गाश्रम के मेन गेट के पास गंदगी के बड़े - बड़े ढेर लगे हुए हैं जो हल्की - फुल्की बारिश के बाद सड़ांध मारने लगे हैं। यह हाल तो मुख्य मार्गों का है, जबकि गलियों में तो इससे भी बुरा हाल बना हुआ है। लोगों का कहना है कि शहर में सफाई कर्मी सफाई के नाम पर सिर्फ झाड़ू घुमाते हैं और मिट्टी को नालियों में धकेल देते हैं। जबकि नालियों की सफाई नियमित रूप से नहीं होकर वार्ड पार्षदों के कहे मुताबिक ही कहीं - कहीं होती है।
सफाई ठेकेदार और सफाई प्रभारी भी केवल पार्षदों को खुश रखने में ही अपनी ड्यूटी मानते हैं। बड़े नालों का इससे भी ज्यादा बुरा हाल है। जहां मानसून पूर्व मिलने वाले विशेष बजट तक का भी सदुपयोग नहीं किया जाता है। इसी का परिणाम है कि पश्चिम विक्षोभ के कारण होने वाली हल्की बारिश में भी पानी सड़कों पर बहने लग गया है। खुद नगरपालिका भवन के सामने वाले मार्ग सहित अंबेडकर सर्किल पर सड़कों पर पानी भर गया, जबकि निचले भागों की आवासीय बस्तियों में तो बरसात का पानी घरों में घुस गया। पिछले कई वर्षों से अतिवृष्टि नहीं हो रही है इसके बावजूद यह हाल है अतिवृष्टि के होने पर क्या हालत बनेंगे इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है कि क्षेत्रीय विधायक दीपचंद खैरिया के बार - बार सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने की हिदायत का भी अधिकारियों पर कोई असर नहीं पड़ता दिखाई दे रहा है।