अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी दिवस पर व्यापार मंडल की संगोष्ठी आयोजित कर व्यापारियों से बाल श्रम मुक्त बाजार बनवाने के भरवायें शपथ पत्र
नारायणपुर : (भारत कुमार शर्मा ) कस्बे के शिव मार्केट में व्यापारियों के साथ अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर बाल आश्रम संस्थापिका सुमेधा कैलाश के निर्देशन में बाल श्रम मुक्त बाजार बनाने व सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलवाने के लिए व्यापार मंडल अध्यक्ष गंगा राम यादव व किशन लाल की अध्यक्षता व मुकेश गोठवाल जिला पार्षद प्रतिनिधि के आतिथ्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। तथा इस अवसर पर व्यापारियों से शपथ पत्र भरवाए गए।
आज पूरी दुनिया में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जा रहा है इस मौके पर अलग-अलग देशों की सरकारें और उनके नीति-निर्माता बाल मजदूरी की स्थिति का आकलन करने व इस पर व्यापक चर्चा करके कैसे हर बच्चे के बचपन को सुरक्षित रख उसे स्वर्णिम बनायें जाने का प्रयास किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस को जिस रूप में आज हम मनाते हैं, इसके लिए हमें एक लंबा सफर तय करना पड़ा है। इससे पहले हम दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में खतरनाक काम के महाजाल में फंसे करोड़ों बाल मजदूरों को लेकर इतने अधिक जागरूक नहीं थे। लेकिन विश्व के नेताओं से पहले एक व्यक्ति ने बाल श्रम को एक नए नजरिये से देखा और समझा था। उन्होंने अपने भीतर इस महाजाल से मासूम बच्चों को मुक्त कराने के जुनून को पाल रखा था। आज की तारीख में भी बहुत कम लोग ही जानते हैं कि यह व्यक्ति एक भारतीय हैं। उन्हें करोड़ों बच्चों के शोषण के खिलाफ और उनके अधिकारों को लेकर आवाज उठाने के लिए साल 2014 में प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ये व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि, कैलाश सत्यार्थी ही हैं।
कैलाश सत्यार्थी ने बाल श्रम के बारे में दुनिया को जागरूक करने और उसे एक गंभीर अपराध के तौर पर स्वीकार करने को लेकर साल 1998 में 'ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर' यानी वैश्विक जन जागरूकता यात्रा की शुरुआत की थी। यह यात्रा 17 जनवरी, 1998 को फिलीपींस के मनीला से शुरू हुई। छह जून, 1998 को जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संगठन (यूएनओ) के मुख्यालय के दरवाजे पर समाप्त हुई। करीब पांच महीने तक चली इस यात्रा में कैलाश सत्यार्थी के साथ 36 बच्चे भी थे। इन्होंने कभी बाल मजदूर के रूप में काम किया था। वहीं, इसे करीब डेढ़ करोड़ लोगों का व्यापक समर्थन भी प्राप्त हुआ। इनमें विश्व के कई प्रमुख नेता, देशों के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और राजा-रानियां शामिल थीं। चूंकि इसमें एक ऐसे व्यक्ति की वैश्विक दृष्टि शामिल थी, जिन्होंने पूरी दुनिया की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था। इस लिहाज से यह एक ऐतिहासिक जन जागरूकता यात्रा थी।इस यात्रा की दो प्रमुख मांगें थीं। इनमें पहली मांग- बाल श्रम के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय कानून बनाने की थी। वहीं, दूसरी यह थी कि साल में एक विशेष दिन बाल मजदूरों को समर्पित किया जाए, जिससे इस दिन पूरी दुनिया बाल श्रम और दासता को खत्म करने पर चर्चा कर सके।
वैश्विक जन जागरूकता यात्रा के एक साल बाद यानी 17 जून, 1999 को बाल श्रम उन्मूलन के लिए आईएलओ कन्वेंशन- 182 पारित किया गया। यह बाल श्रम के खिलाफ लड़ाई में कैलाश सत्यार्थी की एक बड़ी जीत थी। इसके अलावा इस कन्वेंशन पर बहुत ही कम समय में संयुक्त राष्ट्र के सभी 187 देशों ने अपने हस्ताक्षर कर दिए। वहीं, बाल श्रम निषेध को लेकर एक विशेष दिन घोषित किए जाने की मांग को भी मान लिया गया। तथा सन् 2002 में इसकी घोषणा की गई कि तब से हर साल 12 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है।इस अवसर पर कार्यक्रम में व्यापार मंडल अध्यक्ष गंगा राम यादव , शिव मार्केट के अध्यक्ष किशन लाल , मंडल सचिव हितेंद्र कुमार सैनी , लक्की सैनी , व्यापार मण्डल के सदस्यों सहित बाल आश्रम के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।