जागरूकता के अभाव में फसल खराब होने के बावजूद भी फसल बीमा योजना का लाभ उठाने से वंचित हो रहे किसान

Sep 30, 2022 - 01:02
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जागरूकता के अभाव में फसल खराब होने के बावजूद भी फसल बीमा योजना का लाभ उठाने से वंचित हो रहे किसान

रामगढ (अलवर, राजस्थान/ राधेश्याम गेरा) इस बार लौटते मानसून की अतिवृष्टि के कारण अलवर जिले के अनेकों गांव में फसल चौपट हो गई कहीं 50% नुकसान तो कहीं 100% तक नुकसान हुआ।
बरसात के बाद जिला कलेक्टर के निर्देश पर सभी तहसीलदारों ने प्रत्येक गांव में पटवारियों को भेजकर खराबी की रिपोर्ट भी मंगवा ली। अनेक गांव में क्षेत्रीय विधायकों ने भी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर फसल खराबे का मौका निरीक्षण किया।
रामगढ़ विधायक साफिया जुबेर द्वारा तहसीलदार धीरेंद्र कर्दम के साथ अनेक गांवों का द्वारा किया गया और माना कि किसी गांव में 50% और किसी गांव में 80 से 100% तक अनेक खेतों में बाजरा कपास प्याज की फसल नष्ट हो गई है।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों से सरकार द्वारा फसल बीमा योजना लागू कर नुकसान की भरपाई करना बंद कर दिया गया।
और किसान क्रेडिट कार्ड धारकों का बैंक द्वारा पिछले लगभग 10 ,12 वर्षों से फसल बीमा का प्रीमियम काटा जाने लगा जोकि क्षमता से अधिक होने के कारण किसान वहन करने में आपत्ति जताने लगे और प्रीमियम कटौती न करने के लिए अपने अपने बैंक शाखा प्रबंधकों को लिखित रूप से फसल बीमा नहीं करने के बारे में अनुरोध करने लगे।
दूसरा बीमा कंपनियों के सख्त रूल जैसे फसल खराबे की 72 घंटे के अंदर अंदर बीमा कंपनी को सूचना देना और लिखित फार्म भर कर अवगत कराना जोकि ग्रामीण क्षेत्र के किसानों के लिए जागरूकता के अभाव और कम पढ़े लिखे होने के कारण संभव नहीं हो पाया।
हालांकि रामगढ़ क्षेत्र में तहसीलदार धीरेंद्र कर्दम नायब तहसीलदार रमेश वर्मा आईएलआर रामेश्वर दयाल सहित  सभी कानूनगो और पटवारी गांव गांव जाकर किसानों को जागरूक करते हुए बीमा क्लेम के फार्म भरवा के नजर आए लेकिन अधिकतर किसानों ने प्रीमियम अधिक होने के कारण और पिछले 10 वर्षों से हर वर्ष प्रियम राशि व्यर्थ जाने के कारण इस बार बीमा ही नहीं कराया।
इस कारण किसानों ने क्लेम फार्म ही नहीं भरे। इधर को ऑपरेटिव सोसायटीयों से जिन किसानों ने ऋण लिया हुआ है उनका केवल बाजरा फसल का सिमित मात्रा में बीमा किया गया था । शेष फसलों का ना होने से कपास और प्याज का बीमा न होने से लगभग 90 %  किसान क्लेम उठाने से वंचित रह गए हैं।  किसानों को फसल के लागत  मुल्य से भी वंचित होना पड रहा है। 
किसानों का कहना है कि कोई उद्योगपति या बडी कम्पनी कर्ज में डूबती है तो सरकार उसे करोडों रुपए की छूट और राहत प्रदान कर देती है लेकिन किसानों को अपने हाल पर जीने के लिए छोड रखा है। जबकि सरकार को चाहिए कि फसल खराबे से पीडित किसानों को राहत प्रदान करे।

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