स्वतंत्रता सेनानी मीरा बेन और वीरांगना झलकारी बाई की जयंती मनाई

Nov 23, 2021 - 00:21
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स्वतंत्रता सेनानी मीरा बेन और वीरांगना झलकारी बाई की जयंती मनाई

सूरजगढ़/ सुमेर सिंह राव


आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में लोहारू रोड़ सूरजगढ़ में स्वाधीनता आंदोलन में महात्मा गांधी की सहयोगी रही स्वतंत्रता सेनानी मीराबेन उर्फ मैडलिन स्लेड और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की हमशक्ल झलकारी बाई की जयंती मनाई। आजादी की लड़ाई में पुरुषों के साथ महिलाओं का भी विशेष योगदान रहा है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महान वीरांगना झलकारी बाई ने झांसी की रानी का रूप धारण कर युद्ध में अंग्रेजो के छक्के छुड़वा दिए थे। रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और शौर्य से हम सब वाकिफ हैं लेकिन उन्हीं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाली झलकारी बाई के बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने बताया कि झलकारी बाई झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में, महिला शाखा 'दुर्गा दल' की सेनापति थी। वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थी, इस कारण शत्रु को धोखा देने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थी। अपने अंतिम समय में भी वे रानी के वेश में युद्ध करते हुए वे अंग्रेज़ों के हाथों पकड़ी गयीं और रानी को क़िले से भाग निकलने का अवसर मिल गया। उन्होंने प्रथम स्वाधीनता संग्राम में झाँसी की रानी के साथ ब्रिटिश सेना के विरुद्ध अद्भुत वीरता से लड़ते हुए ब्रिटिश सेना के कई हमलों को विफल किया था। यदि लक्ष्मीबाई के सेनानायकों में से एक ने उनके साथ विश्वासघात न किया होता तो 'झांसी का किला' ब्रिटिश सेना के लिए प्राय: अभेद्य था। झलकारी बाई की गाथा आज भी बुंदेलखंड की लोकगाथाओं और लोकगीतों में सुनी जा सकती है। महात्मा गांधी द्वारा आजादी के लिए चलाये गये अहिंसात्मक आंदोलन में भी महिलाओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया था। एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी की बेटी मैडलिन स्लेड महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर हमेशा के लिए अपना देश छोड़कर भारत आ गई और महात्मा गांधी के साथ मिलकर भारत की आजादी और मानव सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
सुनिल गाँधी ने मीरा बेन के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मीरा बेन उर्फ मैडलिन स्‍लेड ने मानव विकास, गांधी जी के सिद्धांतों की उन्नति और स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। ऐसा करते देख गाँधी जी ने उन्हें मीरा बेन नाम दिया। उनकी बुनियादी शिक्षा, अस्पृश्यता निवारण जैसे कार्यों में गांधी के साथ मीरा बेन की अहम भूमिका रही।  उन्होंने गांधीजी के बहुत से राजनैतिक व सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने गांधी जी के खादी के सिद्धांतों तथा सत्याग्रह आंदोलन को उन्नतशील बनाने के लिए देश के कई भागों में यात्रा की। उन्होंने यंग इंडिया तथा हरिजन पत्रिका में अपने हजारों लेख लिखकर योगदान दिया। वर्धा के पास सेवा ग्राम आश्रम स्थापित करने में मीरा बेन में अहम भूमिका निभाई। 1931 में वह लंदन में गोलमेज सम्मेलन में गांधीजी के साथ सम्मिलित हुयी। मीराबेन गांधी जी के नेतृत्व में लड़ी जा रही आजादी की लड़ाई में अंत तक उनकी सहयोगी रही।
इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, ब्रह्मानंद शर्मा, सुनील गांधी, अंजू गांधी, रवि कुमार, संजय गांधी, दिनेश कुमार, अमित कुमार आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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