कृषि विज्ञान केंद्र नौगांवा ने किसानों के हित में खरीफ फसल पर जारी की महत्वपूर्ण एडवाइजरी

रामगढ़ अलवर (राधेश्याम गेरा)
बाजरे की बुवाई से पहले खेत में नमी की जांच जरूरी – कृषि विज्ञान केंद्र, नौगांवा अलवर द्वारा किसानों के लिए खरीफ की प्रमुख फसल बाजरा की बुवाई को लेकर अहम एडवाइजरी जारी की गई है। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवम् अध्यक्ष डॉ सुभाष चंद्र यादव ने किसानों से अपील की है कि वे जल्दबाजी में बुवाई न करें, बल्कि मौसम और खेत की स्थिति को देखकर ही उचित निर्णय लें।
बाजरे की बुवाई हेतु सलाह: कृषि विज्ञान केन्द्र नौगांवा के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि यदि खेत में पर्याप्त नमी नहीं है, तो बाजरे की बुवाई से बचें। बीज के सफल अंकुरण के लिए खेत में कम से कम 3-4 इंच या 8-10 सेन्टी मीटर से अधिक वर्षा होने पर ही बुआई करे । अधूरी नमी में बुवाई करने से बीज न अंकुरित होंगे और नमी का वाष्पीकरण तेजी से हो जाएगा, जिससे किसान को नुकसान उठाना पड़ सकता है।बीज खरीदते समय पैकेट पर सर्टिफाइड सीड का चिन्ह और प्रमाणन तिथि, वैधता तिथि, अंकुरण दर और लाइसेंस नम्बर अवश्य देखें, बीज केवल कृषि विभाग से अधिकृत विक्रेताओं या सरकारी बीज निगमों की दुकानों से ही खरीदे, इससे बीज की गुणवत्ता और शिकायत की स्थिति में समाधान की व्यवस्था रहती है, बुवाई से पहले बीज का अंकुरण परीक्षण अवश्य करें, 100 बीजों का एक नमूना लेकर नम कपड़े में अंकुरित कर अंकुरण दर जांची जा सकती है, इससे बीज की क्षमता का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है,
बीज चयन एवं बुवाई विधि:
* किसानों को प्रमाणित और रोगमुक्त बीज का चयन करना चाहिए।
* प्रमुख संस्तुत किस्में: आरएचबी 233 आरएचबी 234, एचएचबी 299,इत्यादि
* बीज की बुवाई गहराई 2.5 से 3 सेंटीमीटर (25–30 मिमी) होनी चाहिए।
* बुवाई पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10-12 सेंटीमीटर रखें।
* बीजोपचार अवश्य करें ताकि बीज जनित रोगों से बचाव हो सके।
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साथ में दिए अन्य सुझाव:
बीज चयन एवं बुवाई विधि:
* किसानों को प्रमाणित और रोगमुक्त बीज का चयन करना चाहिए।
* प्रमुख संस्तुत किस्में: आरएचबी 233 आरएचबी 234, इत्यादि
* बीज की बुवाई गहराई 2.5 से 4 सेंटीमीटर (25–40 मिमी) होनी चाहिए।
* बुवाई पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10-12 सेंटीमीटर रखें।
* बीजोपचार अवश्य करें ताकि बीज जनित रोगों से बचाव हो सके।1. प्रारंभिक बीज सफाई (नमक का घोल):
यह एक शुरुआती और महत्वपूर्ण कदम है, खासकर अरगट (Ergot) या जोगिया रोग से प्रभावित बीजों को अलग करने के लिए।
विधि: 10-20% नमक का घोल तैयार करें (जैसे, 1 किलो नमक को 5-10 लीटर पानी में घोलें)। बाजरे के बीजों को इस घोल में डालकर अच्छी तरह हिलाएं। जो बीज या कचरा ऊपर तैरने लगे, उन्हें निकाल कर फेंक दें, क्योंकि वे संक्रमित या हल्के होते हैं। नीचे बैठे हुए स्वस्थ बीजों को 3-4 बार साफ पानी से अच्छी तरह धो लें और छाया में सुखा लें।
उद्देश्य: अरगट (गोंदिया/चिपचिपा रोग) और अन्य हल्के, खराब बीजों को अलग करना।
2. फफूंदनाशक से बीज उपचार :
यह बाजरे में लगने वाले प्रमुख फफूंद जनित रोगों जैसे हरित बाली और कंडुआ से बचाव के लिए आवश्यक है।
रसायन और मात्रा:
थिरम (Thiram 75% WS): 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या कार्बेण्डाजिम (Carbendazim 50% WP): 2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज। मेटालैक्सिल (Metalaxyl 35% WS): 6.0 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज (विशेष रूप से हरित बाली रोग के लिए)।
कीटनाशक से बीज उपचार :
यह दीमक, सफेद लट, तना मक्खी और तना छेदक जैसे शुरुआती कीटों से फसल को बचाता है।
रसायन और मात्रा:
इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid 600 FS): 6-8.75 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज।
क्लोथायोनिडिन (Clothianidin 50% WDG): 7.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज।
जैविक बीज उपचार :
यह फसल को आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने और मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
जैविक कल्चर और मात्रा:
एजोटोबैक्टर : 200 ग्राम प्रति 10-12 किलोग्राम बीज।
पीएसबी कल्चर: 200 ग्राम प्रति 10-12 किलोग्राम बीज।
* बाजरे में खरपतवार नियंत्रण के लिए, खरपतवार के अंकुरण से पहले और अंकुरण के बाद दोनों तरह के शाकनाशियों का उपयोग कर सकते हैं।
1. अंकुरण से पहले खरपतवारनाशी:एट्राज़ीन (Atrazine 50% WP): यह बाजरे के लिए एक प्रभावी और व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाला खरपतवारनाशी है।
मात्रा: 400-500 ग्राम प्रति एकड़ (या 0.5 किलोग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर)। इसे 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
कब करें: बुवाई के 24 घंटे के भीतर, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी हो।
2. अंकुरण के बाद खरपतवारनाशी:टेम्बोट्रियोन (Tembotrione 42% SC): यह भी प्रभावी हो सकता है।
मात्रा: 90 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर।
कब करें: बुवाई के 25 दिन बाद।
अन्य सुझाव:
कृषि वैज्ञानिक डॉ पूनम प्रजापति ने यह भी सलाह दी है कि जिन किसानों ने पहले ही खेत की जुताई कर ली है, वे आगामी बारिश की प्रतीक्षा करें और पर्याप्त वर्षा होने के बाद ही बुवाई करें। इससे बीज कोt अनुकूलतम नमी मिलेगी और अंकुरण सफल रहेगा। किसानों से अपील है कि वे स्थानीय मौसम विभाग की रिपोर्ट पर ध्यान दें और वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाकर ही खेती करें।






