धोलागढ़ देवी का सात दिवसीय लक्खी मेला 18 अप्रैल से शुरु देश भर से आते हैं श्रद्धालु

लक्ष्मणगढ़ (अलवर/ कमलेश जैन) जिले के कठूमर उपखंड की ग्राम पंचायत बहतूकलां स्थित निकटतम लक्ष्मणगढ़ देवी धोलागढ़ का सात दिवसीय लख्खी मेला 18 अप्रेल से शुरू होगा। इस मेले में देश भर से श्रद्धालुओं का आवागमन रहेगा।
ग्राम पंचायत बहतूकलांं एवं मेला कमेटी के तत्वावधान में मेले की तैयारियां जोर शोर से की गई है। श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मेले में आने वाले दूरदराज के व्यापारियों ने भी अपनी दुकान सजा ली है। कठूमर, लक्ष्मणगढ़ सडक़ मार्ग पर ग्राम खुडिय़ाना से सात किलोमीटर दूरी लक्ष्मणगढ़ से 12 किलोमीटर ऊंचे पहाड़ों पर स्थित देवी धोलागढ़ का मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। देवी के दर्शनार्थ प्रतिवर्ष हरियाणा, यूपी, मध्य प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, कोलकाता, राजस्थान आदि प्रांतों के श्रद्धालु मैया के दरबार में धोक लगाने एवं मन्नत मांगने पहुंचते हैं। यूपी के मथुरा व आगरा जनपदों के श्रद्धालुओं की देवी के प्रति इतनी अटूट श्रद्धा है कि इनका मंदिर के विकास में इनका उल्लेखनीय योगदान रहा है। इसके अलावा माता धोलागढ़ देवी ट्रस्ट की ओर से न केवल कई विकास कार्य को अंजाम दिया गया है।
हमेशा देवी धौलागढ़ के मंदिर पर श्रद्धालुओं की आवक जावक वर्ष भर रहती है। यहां नवरात्र में भी श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ रहती है। लेकिन बैसाख सुदी पंचमी से एकादशी तक भरने वाले लक्खी मेले में अपार श्रद्धालु आते हैं। मेले के दौरान सौलह श्रृंगार करके, लाल जोड़े में मैया की प्रतिमा को ऐसे सजाया जाता है कि मानो साक्षात् देवी धरा पर उतर आई हो। इसके अलावा मंदिर परिसर पर की गई रोशनी एवं सजावट इतनी आकर्षक ढंग से की जाती है कि वह कई किलोमीटर दूर से दिखाई देती है।
मेले में श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए प्रशासन द्वारा व्यापक इंतजाम किए गए हैं 24 घंटे लाइट, स्वास्थ्य विभाग की टीम, अग्निशमन की सेवाएं हर समय उपलब्ध रहेंगी।
श्रद्धालुओं की जान व माल की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मेले में प्रशासनिक व्यवस्थाएं पूरी हो गई है।जिसमें पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। मेले में श्रद्धालुओं को कोई भी परेशानी ना हो, इसके लिए ग्राम पंचायत की ओर से अनेक वॉलिंटियर तैनात किए गए हैं। वाहनों की आवाजाही से बचने के लिए कई पार्किंग स्थल भी तैयार किए गए हैं। मंदिर में सभी धर्म व जनजातियों के दर्शनार्थी भारी संख्या में आते हैं। मेले के अतिरिक्त नवरात्रि में घट (कलश) स्थापना, अभिषेक, महापूजा, पाठ, निवास आदिम निवास रहते हैं। यहां कई श्रद्धालू विशेष सेवाओं के अतिरिक्त छत्र आदि भी चढ़ा कर माता के दरबार में मन्नते पूरी करते हैं।






