अहीरबास के राधा-कृष्ण मन्दिर के महंत नहीं रहे महान संत प्रेमदास महाराज, 94 वर्ष की आयु मे छोड़ी देह

रैणी (अलवर/महेश चन्द मीना) अलवर के रैणी-उपखंड क्षेत्र की गढ़ीसवाईराम ग्राम पंचायत के अहीरबास स्थित राधा कृष्ण मंदिर के महंत प्रेमदास महाराज ने गुरूवार दोपहर को 94 वर्ष की आयु मे अंतिम सांस ली। वो पिछले कई माह से अस्वस्थ्य चल रहे थे। शुक्रवार को हाथी पर उनकी मृत देह को बिठा कर हजारो महिला पुरूषो की मौजूदगी मे उनकी शवयात्रा को अहीरबास व झालाटाला ग्राम मे बैण्ड़ बाजे के साथ नगर परीक्रमा करवाई गई। इससे पूर्व उनका शव दर्शनार्थ रखा गया जिस पर काफी संख्या मे महिला पुरूषो ने ढ़ोक लगाकर पुष्पअर्पित किये।
प्रेमदास महाराज ने गृहस्त जीवन का भी पालन किया उनके परिजनो से प्राप्त जानकारी के अनुसार शंकरदास महाराज के शिष्य प्रेमदास महाराज ने लक्ष्मणगढ़ उपखण्ड़ क्षेत्र के सुनारी गांव मे किसान जीवनराम मीना के घर जन्म लिया था। ये छ: भाईयो मे दूसरे नम्बर के बेटे थे। इनकी जन्म से ही अध्यात्म की और रूची थी। परीवारजनो ने इनकी शादी भी कर दी थी। इनके तीन लडक़ी और दो लडके हुए। जिनमे से एक बडा बेटा श्यामलाल दिल्ली मे एसआई पद पर कार्यरत है तथा एक भाई राधेश्याम मीना रिटायर्ड कोलेज प्रिसिंपल भी है। इन्होने 1978 मे गृहस्थ जीवन से विदाई लेकर सन्यास बैराग की राह चुन ली थी।
उसके बाद झालाटाला ग्राम मे अपने गुरू शंकरदास महाराज के पास 22 वर्ष रह कर उनकी सेवा के साथ साथ भक्ति मार्ग प्रशस्त किया। सत्र दो हजार मे ये अहीरबास स्थित राधा कृष्ण मंदिर पर आ गये यहॉ पर पच्चीस वर्ष के समय मे इन्होने कई बड़े यज्ञ , भागवत कथा, शिव पुराण जैसे आयोजन भी करवाये है।
क्षेत्र मे इनके अच्छे स्वभाव और त्याग तपस्या ने क्षेत्र के हर इंसान के दिल मे जगह बनाई है। प्रेमदास महाराज की स्वयं की ईच्छा थी कि उनकी शवयात्रा हाथी पर हक निकले। प्रेमदास महाराज जब स्वस्थ थे तब अपने भक्तो से कहा करते थे कि मेरे मरने के उपरान्त मेरी शवयात्रा हाथी पर निकालना। इसी बात को लेकर श्रृद्धालुओं ने जयपुर से पचास हजार रूपये मे किराये पर हाथी मंगवा कर उनकी हाथी पर शवयात्रा निकाली। उनकी शवयात्रा मे स्थानीय तथा आस पास के हजारो महिला पुरूषो ने भाग लिया। तथा श्याम गंगा निवासी इन्ही के शिष्य रत्तिराम यादव ने इनको मुखागनी दी।






