भूमि के अपने हक को त्याग देना या छोड़ देना ही हक परित्याग - रिटायर्ड तहसीलदार मंगलचंद सैनी
साधारण शब्दों से स्पष्ट है भूमि के अपने हक को त्याग देना या छोड़ देना ही हक परित्याग कहलाता है। विशेष रूप से पैतृक संपत्ति में से बहन भाई के लिए या भाई बहन के हक में अपना हिस्सा छोड़ सकते हैं। उत्तराधिकार कानून में बहन का नाम पिता/ माता की संपत्ति में अनिवार्य रूप से जोड़ने के कारण बहनों को खातेदारी हक मिल जाते हैं किंतु जैसा कि सर्व विदित है बहुत कम बहिनें ही पिता की संपत्ति में हिस्सा लेती हैं, अधिकतर बहिनें चाहती हैं कि उनके हिस्से की भूमि /संपत्ति भाइयों के नाम दर्ज हो। इसके लिए राजस्थान सरकार ने लगभग नाम मात्र के शुल्क पर हक परित्याग डीड बनाने की व्यवस्था की है।
लगभग सभी खातों में बहनों के नाम अंकित रहते हैं साधारण सी प्रक्रिया के तहत भाई व बहन अपने पहचान पत्र व फोटो व दो गवाह फोटो व पहचान पत्र सहित सब रजिस्ट्रार कार्यालय में उपस्थित होकर हक त्यागपत्र रजिस्टर्ड करवा सकते हैं। हक त्यागपत्र हेतु साधारण सा शुल्क 1500/-के लगभग वर्तमान नियमों में देय है। ध्यान रहे हक त्यागपत्र रक्त संबंधी के द्वारा रक्त संबंधी के पक्ष में ही किया जा सकता है। पैतृक संपत्ति में ही हक त्याग किया जा सकता है।
- सुमेरसिंह राव