हनुमान जी की अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजित होने की कथा

May 1, 2024 - 19:34
May 1, 2024 - 19:35
 0
हनुमान जी की अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजित होने की कथा

खैरथल (हीरालाल भूरानी) 
  कस्बे के विजय पार्क में आयोजित सत्संग समारोह में उपस्थित श्रद्धालुओं को बाबा आयाराम साहेब दरबार सरदार नगर अहमदाबाद के गद्दी नशीन संत जीवण राम उर्फ श्याम बाबा ने सत्संग में बताया कि राम के जीवन के ऊपर अनेकों रामायण लिखी गई है। इन अलग-अलग रामायण में कुछ प्रसंगो को अलग-अलग ढंग से बताया गया है। जैसे की अदभुत रामायण में सीता को रावण की बेटी बताया गया है। इसी प्रकार आनंद रामायण में हनुमाजी के अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजित होने के पीछे कुछ अलग ही कथा है।

आनंद रामायण के अनुसार एक बार किसी रामेश्वरम तीर्थ में अर्जुन का हनुमानजी से मिलन हो जाता है। इस पहली मुलाकात में हनुमानजी से अर्जुन ने कहा- ‘अरे राम और रावण के युद्घ के समय तो आप थे?’
हनुमानजी- ‘हां’, तभी अर्जुन ने कहा- ‘आपके स्वामी श्रीराम तो बड़े ही श्रेष्ठ धनुषधारी थे तो फिर उन्होंने समुद्र पार जाने के लिए पत्थरों का सेतु बनवाने की क्या आवश्यकता थी? यदि मैं वहां उपस्थित होता तो समुद्र पर बाणों का सेतु बना देता जिस पर चढ़कर आपका पूरा वानर दल समुद्र पार कर लेता।’
इस पर हनुमानजी ने कहा- ‘असंभव, बाणों का सेतु वहां पर कोई काम नहीं कर पाता। हमारा यदि एक भी वानर चढ़ता तो बाणों का सेतु छिन्न-भिन्न हो जाता।’
अर्जुन ने कहा- ‘नहीं, देखो ये सामने सरोवर है। मैं उस पर बाणों का एक सेतु बनाता हूं। आप इस पर चढ़कर सरोवर को आसानी से पार कर लेंगे।’
हनुमानजी ने कहा- ‘असंभव।’
तब अर्जुन ने कहा- ‘यदि आपके चलने से सेतु टूट जाएगा तो मैं अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा और यदि नहीं टूटता है तो आपको अग्नि में प्रवेश करना पड़ेगा।’
हनुमानजी ने कहा- ‘मुझे स्वीकार है। मेरे दो चरण ही इसने झेल लिए तो मैं हार स्वीकार कर लूंगा।’
तब अर्जुन ने अपने प्रचंड बाणों से सेतु तैयार कर दिया। जब तक सेतु बनकर तैयार नहीं हुआ, तब तक तो हनुमान अपने लघु रूप में ही रहे, लेकिन जैसे ही सेतु तैयार हुआ हनुमान ने विराट रूप धारण कर लिया।
हनुमान राम का स्मरण करते हुए उस बाणों के सेतु पर चढ़ गए। पहला पग रखते ही सेतु सारा का सारा डगमगाने लगा, दूसरा पैर रखते ही चरमराया और तीसरा पैर रखते ही सरोवर के जल में खून ही खून हो गया।
तभी श्रीहनुमानजी सेतु से नीचे उतर आए और अर्जुन से कहा कि अग्नि तैयार करो। अग्नि प्रज्वलित हुई और जैसे ही हनुमान अग्नि में कूदने चले, वैसे भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हो गए और बोले ‘ठहरो!’ तभी अर्जुन और हनुमान ने उन्हें प्रणाम किया।
भगवान ने सारा प्रसंग जानने के बाद कहा- ‘हे हनुमान, आपका तीसरा पग सेतु पर पड़ा, उस समय मैं कछुआ बनकर सेतु के नीचे लेटा हुआ था। आपकी शक्ति से आपके पैर रखते ही मेरे कछुआ रूप से रक्त निकल गया। यह सेतु टूट तो पहले ही पग में जाता यदि में कछुआ रूप में नहीं होता तो।’
यह सुनकर हनुमान को काफी कष्ट हुआ और उन्होंने क्षमा मांगी। ‘मैं तो बड़ा अपराधी निकला, जो आपकी पीठ पर मैंने पैर रख दिया। मेरा ये अपराध कैसे दूर होगा भगवन्?’ तब कृष्ण ने कहा, ये सब मेरी इच्छा से हुआ है। आप मन खिन्न मत करो और मेरी इच्छा है कि तुम अर्जुन के रथ की ध्वजा पर स्थान ग्रहण करो। भगवान अपने भक्त की रक्षा हर तरफ और तरह से करते हैं।

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

एक्सप्रेस न्यूज़ डेस्क बुलंद आवाज के साथ निष्पक्ष व निर्भीक खबरे... आपको न्याय दिलाने के लिए आपकी आवाज बनेगी कलम की धार... आप भी अपने आस-पास घटित कोई भी सामाजिक घटना, राजनीतिक खबर हमे हमारी ई मेल आईडी GEXPRESSNEWS54@GMAIL.COM या वाट्सएप न 8094612000 पर भेज सकते है हम हर सम्भव प्रयास करेंगे आपकी खबर हमारे न्यूज पोर्टल पर साझा करें। हमारे चैनल GEXPRESSNEWS से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद................