पर्यावरण संरक्षण के अनुकूल हो गणेश जी की प्रतिमाएं ,सनातन धर्म और संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण व जीवों का रखें ध्यान- राव
सिरोही (रमेश सुथार)
विश्व पर्यावरण संरक्षण मिशन ने पर्यावरण के अनुकूल गणेश प्रतिमाएं बनाकर उत्साह पूर्वक गणेशोत्सव मनाने की अपील की । सनातन धर्म और संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण व जीव दया का स्थान सर्वोपरि है। सनातन धर्म और संस्कृति का मूल मंत्र अहिंसा तथा जीओ और जीने दो है।विश्व पर्यावरण संरक्षण मिशन राजस्थान के प्रदेश कार्यक्रम प्रमुख गोपाल सिंह राव ने गोबर, मिट्टी, फिटकरी,कागज की प्रतिमाएं लाने व बनाने की अपील की। घुलनशील नुकसान नहीं देने वाले पदार्थों से बनी प्रतिमाएं लगाने से पर्यावरण संरक्षण के साथ जीव हिंसा भी नहीं होगी। धातु पीतल, चांदी, लकड़ी, क्रिस्टल की प्रतिमाएं लगाने के बाद तालाब, नदी में धोकर पुनः घर मंदिर में रखकर भी पर्यावरण संरक्षण कर सकते है। प्लास्टर ऑफ पेरिस, प्लास्टिक, केमिकल से बनी रंगी मूर्ति से पर्यावरण प्रदूषण होता है। नदी व तालाबों में प्रवाहित प्रतिभाएं कभी नहीं गलती। केमिकल वाली प्रतिमाएं जलीय जीवों के जीवन के लिए ख़तरनाक है। मानवों को तैरते वक्त नुकसान पहुंचा सकती है।मिशन की जिला अध्यक्ष श्रीमती आशा देवड़ा, जिला सचिव श्रीमती इन्द्रा खत्री, दशरथ सिंह भाटी, जगपाल सिंह राठौड़,देवीलाल, भारती चौहान ,भरत कुमार प्रजापत,भंवर सिंह भमसा,सविता कुमारी गर्ग,परेश कुमार गर्ग, राव भानू प्रताप सिंह,पुखराज शवंचा , यशपाल सिंह,कीर्तन पाल सिंह सहित सम्पूर्ण जिला एवं तहसील कार्यकारिणी ने पर्यावरण संरक्षण की अपील की ।