विधिक शिविर : बाल श्रम से जुड़े अधिनियम और कानून की जानकारी आमजन को बताई

मकराना (मोहम्मद शहजाद) राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मेड़ता व अध्यक्ष, ताल्लुका विधिक सेवा समिति के निर्देशानुसार विशेष दिवस पर शहर के बाईपास रोड पर स्थित एक मार्बल प्रतिष्ठान पर पैनल अधिवक्ता तलत हुसैन हनीफी ने विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर विधिक शिविर आयोजित कर जानकारी दी। हनीफी ने बताया कि विश्व बाल श्रम निषेध दिवस हर वर्ष 12 जून को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य बालकों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के अवसर प्रदान करना है। बाल श्रम गरीबी, अशिक्षा, बेरोज़गारी, सामाजिक असमानता और जागरूकता की कमी से उत्पन्न होता है। इस दिवस की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा वर्ष 2002 में की गई थी। बाल श्रम की परिभाषा बाल श्रम वह कार्य है जिसे करने के लिए बच्चे को स्कूल छोड़ना पड़ता है। जो उसकी मानसिक, शारीरिक, सामाजिक या नैतिक स्थिति को नुकसान पहुंचाता है। जो उसकी आयु के अनुपात में अत्यधिक कठिन, खतरनाक या शोषणकारी होता है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार 5 से 17 वर्ष की उम्र के बच्चे जब ऐसे कार्यों में संलग्न होते हैं जो उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य या विकास को बाधित करते हैं, तो वह बाल श्रम की परिभाषा में आता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद-23 मानव दुर्व्यापार, बेगार तथा बंधुआ मज़दूरी की प्रथा का उन्मूलन करता है। जबकि अनुच्छेद-24 किसी फैक्ट्री, खान, अन्य संकटमय गतिविधियों यथा-निर्माण कार्य या रेलवे में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध करता है। इस दौरान हनीफी ने बाल श्रम से जुड़े अधिनियम और कानून की जानकारी आमजन को बताई। इस अवसर पर पेनल अधिवक्ता तलत हुसैन हनीफी, नगर परिषद के विधि सलाहकार हनुमानराम डोबर, छोटूराम चौधरी, कोर्ट कर्मचारी गुमानाराम सहित अन्य उपस्थित थे।






