हर्षोल्लाहस से मनाया दिवाली का पांच दिवसीय महापर्व

Nov 3, 2024 - 19:23
Nov 3, 2024 - 19:45
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हर्षोल्लाहस से मनाया दिवाली का पांच दिवसीय महापर्व

 लक्ष्मणगढ़ (अलवर/ कमलेश जैन ) दिवाली का पांच दिवसीय पर्व , जो कि अबकी बार 6 दिन का रहा । उपखंड क्षेत्र में श्रद्धा एवं हर्षोल्लाहस से मनाया गया ‌। दीपावली त्योहार का हर एक दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसपर्व को दीपोत्सव कहा जाता है। पांच दिनों तक लगभग पूरे उपखंड क्षेत्र  मे उत्साह का माहौल रहा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई गई । दिवाली के दिन लक्ष्मी गणेश जी की पूजा की गई । हालांकि इसकी शुरुआत दो दिन पहले धनतेरस से हो जाती है। जबकि समापन दिवाली के अबकी बार तीसरे दिन भाई दूज आज रविवार को हो गया है। 

  • पहला दिन - धनतेरस

दिवाली के दिनों में सबसे पहले धनतेरस मनाई गई। ये कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनायी गयी। इसे धनत्रयोदशी भी कहते हैं।  धनतेरस के दिन चिकित्सा और आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। भगवान धन्वंतरि ही समुद्र मंथन से अमृत कलश हाथ में लेकर बाहर आए थे। इसलिए धनतेरस को भगवान धन्वंतरि, ऐश्वर्य के स्वामी कुबेर जी की और माता लक्ष्मी का पूजन किया गया।

  •  नरक चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी को रूप चौदस के नाम से भी जानते हैं। मान्यता अनुसार,  भगवान श्री कृष्ण जी ने नरकासुर का वध किया था और लगभग 16 हजार महिलाओं को नरकासुर की कैद से मुक्त किया था। इस दिन को छोटी दिवाली भी कहते हैं। नरक चतुर्दशी को यमराज जी के नाम का दीपक भी जलाया गया। साथ ही इसे रूप चौदस भी कहते हैं।

  •  दीपावली

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई गई । इस दिन माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा की गई और घरों में रंगोली बनाई गई । घरों एवं प्रतिष्ठानों को दीपकों से रोशनी कर सजाया गया ।घरों में पकवान बनाए गए हैं। धूमधाम से दीपावली पर्व को मनाया गया।  

  • गोवर्धन पूजा

 दिवाली के अबकी बार एक दिन छोड़कर यानी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की गई , जिसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। कस्बे में विभिन्न समाजों द्वारा अन्य कूट प्रसादी का आयोजन किया गया। ब्राह्मण समाज जाट समाज खंडेलवाल वैश्य समाज बाबा जी के मंदिर इमली वाले हनुमान मंदिर के पीछे लोगों ने अन्य कूट का प्रसाद ग्रहण किया। इसी दिन गाय-बैल की पूजा भी की गई। इसके अलावा परिवार जनो द्वारा गोवर्धन की पूजाऔर परिक्रमा भी धार्मिक लोगों द्वारा की गई।

  • भाई दूज

गोवर्धन पूजा के अगले दिन आज रविवार को भाई दूज मनाई गई। भाई दूज पर बहनों नेअपने भाई के मस्तक पर तिलक लगा कर उनकी आरती उतारीऔर मुंह मीठा कराया। भाइयों द्वारा बहनों को उपहार वस्त्र आभूषण एवं राशि भेंट की गई। रक्षाबंधन की तरह यह त्योहार भी भाई बहन के रिश्ते का प्रतीक है।

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