विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतिम दिवस गुजरपुर,चीड़़वा अलावडा में प्राकृतिक खेती पर, दी जानकारियां

रामगढ़ अलवर (राधेश्याम गेरा)
ग्राम पंचायत अलावड़ा,चिड़वा व गुर्जरपुर खुर्द में "विकसित कृषि संकल्प अभियान" का आयोजन कर खरीफ की प्रमुख फसलों व प्राकृतिक खेती पर वैज्ञानिकों ने दी विशेष जानकारीयां। जिसमें "विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), नौगावा द्वारा ग्राम अलावड़ा, चीड़वा एवं गुर्जरपुर खुर्द में "विकसित कृषि संकल्प अभियान" का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया। इस अवसर पर कुल 721 किसानों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
कार्यक्रमों का उद्देश्य किसानों को खरीफ की मुख्य फसलों जैसे बाजरा, ज्वार, कपास, प्याज, तिल व ग्वार की वैज्ञानिक खेती, प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु अनुकूल कृषि के बारे में जागरूक करना था।
वैज्ञानिकों की गरिमामयी उपस्थिति में कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सुभाष चंद्र यादव ने की।
विशेषज्ञ वक्ताओं में डॉ. हंसराम माली (फसल वैज्ञानिक)
डॉ. पूनम (विषय विशेषज्ञ)
डॉ. विजय कुमार (सस्य वैज्ञानिक)
डॉ. रामू मीना (मृदा वैज्ञानिक)
श्री पुष्कर देव (वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता)
श्री राकेश यादव (कृषि पर्यवेक्षक)
डॉ. हंसराम माली, डॉ. विजय कुमार और डॉ. रामू मीना ने संयुक्त रूप से खरीफ फसलों पर विस्तार से जानकारी दी और किसानों के प्रश्नों के उत्तर दिए।
- बाजरा (Pearl Millet)
- प्रमुख किस्में: HHB-67, RHB-177
- बीज दर: 4–5 किग्रा/हेक्टेयर
- उर्वरक: 60:40:30 NPK
- रोग प्रबंधन: डाउनी मिल्ड्यू के लिए मैन्कोजेब का छिड़काव ज्वार (Sorghum)
- किस्में: CSV-15, CSH-14
- बीज दर: 10–12 किग्रा/हे
- बीजोपचार: थायरम + कार्बेन्डाजिम
- रोग: पत्ती झुलसन व तना छेदक से बचाव। कपास (Cotton)
- Bt किस्में: RCH-134, MRC-7351
- उर्वरक: 120:60:60 NPK
- कीट: सफेद मक्खी व गुलाबी सुंडी से रक्षा हेतु जैविक व फेरोमोन ट्रैप प्याज (Onion – खरीफ)
- किस्में: Arka Kalyan, NHRDF Red
- पौध दूरी: 10×15 सेमी
- थ्रिप्स व सफेद फफूंदी के लिए जैविक कीटनाशी सुझाव तिल (Sesame)
- किस्में: RT-46, TKG-22
- बीज दर: 4 किग्रा/हे
- प्रमुख रोग: फायलोडी
- नियंत्रण: थायमेथोक्साम का छिड़काव ग्वार (Clusterbean)
- किस्में: HG-563, RGC-936
- बीज दर: 20 किग्रा/हे
- बीजोपचार: राइजोबियम + पीएसबी
सूखा सहिष्णु फसल, कम इनपुट में अधिक उत्पादन प्राकृतिक खेती पर डॉ. पूनम ने किसानों को बताया कि प्राकृतिक खेती में – रासायनिक उर्वरकों का परित्याग कर गौ आधारित उत्पादों का उपयोग किया जाता है। जैसे: जीवामृत, बीजामृत, ब्रह्मास्त्र, अग्निअस्त्र आदि यह विधि मिट्टी की उर्वरता, पर्यावरण संतुलन, और पोषण को बढ़ावा देती है। उन्होंने इसे कम लागत में अधिक लाभ और सुरक्षित भविष्य की कुंजी बताया। पुष्कर देव ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जल बचाना सर्वोपरि है। उन्होंने सुझाव दिया कि: फार्म पॉन्ड से वर्षाजल संचयन ड्रिप/स्प्रिंकलर तकनीक द्वारा जल दक्षता, मल्चिंग व फसल विविधीकरण से जल संरक्षण, जलवायु अनुकूल किस्मों का चयन कृषि योजनाओं पर राकेश यादव ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, तथा सूक्ष्म सिंचाई योजना की जानकारी दी और किसानों को इनसे लाभ उठाने का आग्रह किया। किसानों की प्रतिक्रिया तीनों ग्रामों के कुल 721 किसानों ने इस अभियान में भाग लिया। किसान रामकिशन सैनी, कपूरचंद, सूरजमल, दुलीचंद,नरेश सैनी ने कहा, “हमें पहली बार इतने वैज्ञानिक ढंग से जानकारी मिली है, अब हम आधुनिक और टिकाऊ खेती की ओर बढ़ेंगे।”






