चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री, श्रीराम, की श्रद्धालुओं ने की पूजा

लक्ष्मणगढ़ (अलवर ) कमलेश जैन
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को घरों में माता सिद्धिदात्री का पूजन किया गया। आज ही राम नवमी का जन्मोत्सव पर्व मनाया गया।
नवदुर्गाओं में सबसे श्रेष्ठ और सिद्धि और मोक्ष देने वाली दुर्गा को सिद्धिदात्री कहा जाता है।इनकी पूजा आज रविवार को चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन घरों में की गई, आज ही के दिन श्रीराम का जन्मोत्सव भी मनाया गया।
मां दुर्गा के इस अंतिम स्वरूप की अराधना के साथ ही नवरात्र केअनुष्ठान का समापन हो गया। भगवान राम का देवी और शक्ति से गहरा संबंध है। वासंतिक नवरात्रि में श्रीराम देवी की शक्ति लेकर प्रकट होते हैं और शारदीय नवरात्रि में शक्ति का प्रयोग करते हैं। चैत्र नवरात्रि की नवमी आज ही के दिन रामलला (श्रीराम )ने जन्म लिया था ।और इसी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है इसलिए ये दोनों पर्व एक दिन मनाए गए।
एक तरफ नवमी तिथि को श्रीराम जन्म लेते हैं। और दूसरी तरफ (अश्विन नवरात्रि) नवमी तिथि को शक्ति की पूजा की गई। राम नवमी जहां राम जी ने असुरी शक्तियों का नाश करने के लिए जन्म लिया था, वहीं इसी दिन मां दुर्गा ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। आज नवरात्र के अंतिम दिन नवमी के अवसर पर घरों में 9 कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराया गया। कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की गई। उन्हें चना, हलवा और पूड़ी खिलाकर उपहार में कुछ वस्त्र या दक्षिणा भी दी गई।इससे मां प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-शांति एवं समृद्धि का वास होता है।
हिंदू धर्म में भगवान राम को आदर्श पुरुष और महान योद्धा के रूप में पूजा जाता है। श्रद्धालुओं ने आज उनकी उपासना की। श्री राम की पूजा से साधक को सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं व्यक्ति की अध्यात्मिक उन्नति भी होती हैं।






