ज्ञान भक्ति और कर्म के मार्ग को प्रशस्त करती है गीता - कुमावत
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) गीता हमें कर्म के सिद्धांतों की शिक्षा देती है और परिणामों की अपेक्षा किए बिना हमें कर्तव्य को महत्ता प्रदान करने के लिए प्रेरित करती है। अर्जुन जैसे कर्मवीर के मन में भी जब नैराश्य के भाव जागृत हो जाते हैं तो कुरुक्षेत्र के समरांगण में भगवान श्री कृष्ण को गीता ज्ञान रूपी अमृत का उपदेश देना पड़ता है । गीता मनुष्य को ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्मयोग की श्रेष्ठता को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है । यह बात आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय कोठार मोहल्ला में संस्कृत भारती शाहपुरा द्वारा आयोजित गीता जयंती उत्सव में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत शिक्षण बौद्धिक प्रमुख सत्यनारायण कुमावत ने कही । कुमावत ने कहा कि गीता ज्ञान का सागर है जिसमें सभी वेदों पुराणों और उपनिषदों का सार है । आज दुनिया गीता में बताए हुए मार्ग की ओर देख रही है । हमारी संस्कृति की परंपरा रही है कि हमारे एक हाथ में शस्त्र और एक हाथ में शास्त्र हो । गीता भी हमें शस्त्र और शास्त्र का ज्ञान कराती है । कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष कन्हैया लाल धाकड़ ने की । शाहपुरा सह जिला मंत्री जय किशन घूसर ने बताया कि संस्कृत भारती वर्ष भर में छ उत्सव मनाती है उनमें से गीता जयंती भी एक है । कार्यक्रम में ध्येय मंत्र का वाचन प्रियंका गुर्जर ने किया । संस्कृत गीत पूजा गुर्जर ने गाया । आभार प्रकट विभाग संयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने किया । कार्यक्रम में शिक्षाविद् बाल कृष्ण सोमानी, शिव प्रकाश सोमानी, प्रताप सिंह बारहठ संस्थान के सचिव कैलाश सिंह जाड़ावत, राम प्रसाद सेन, चंचल शर्मा, विभाग संयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत, महेंद्र गुर्जर, ओमप्रकाश कुमावत, भेरू लाल गुर्जर, मनीष दाधीच, मुकेश प्रजापत, मिश्री लाल कुमावत, जिला महिला प्रमुखा पूजा गुर्जर, प्रभादेवी शर्मा, प्रियंका गुर्जर, रुद्राक्षी शर्मा आदि उपस्थित थे