चारे, पानी के लिए मोहताज हो रहे बेजुबान गाय, बछड़े व सांड़ -आंखों में आंसु, धूप में कठोर तपस्या, कब तक होगी बेजुबान गायों की परीक्षा

Jun 4, 2020 - 22:49
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चारे, पानी के लिए मोहताज हो रहे बेजुबान गाय, बछड़े व सांड़ -आंखों में आंसु, धूप में कठोर तपस्या, कब तक होगी बेजुबान गायों की परीक्षा

नारायणपुर अलवर

नारायणपुर   कोविड-19 महामारी के चलते बेजुबान जानवरों एवं पशुओ के लिए संकट खड़ा हो गया है। एक और गौ माताओं को प्राचीन समय में देवी-देवताओं के समान मानकर पूजा अर्चना की जाती थी, उनको शुद्ध पानी पिलाया जाता था, घर में पहली बनाई हुई रोटी देकर पुण्य कार्य किया जाता है, लेकिन वर्तमान में उन्हीं गौ माताओं की दशा देखकर ऐसा लगता है कि यह कैसी विडंबना है जो गाय प्राचीन समय में पूजी जाती थी, गोदान सर्वश्रेष्ठ एवं महत्वपूर्ण दान माना जाता था। आज गाय प्यास से तड़पती हुई गंदी नालियों के गंदे कीचड़ का पानी में मुंह मारती है और पानी पीने की कोशिश करती है लेकिन उसके वह गंदा पानी भी नसीब नहीं होता। गाय, बछड़े दिनभर आंखो में आंसु भरकर ज्येष्ठ माह की चिलचिलाति धूप में तपते हुए असहनीय पीडा़ झेल रहे हैं। गर्मियों के मौसम में खेत खलिहानो एवं आसपास के क्षेत्रों में न तो कोई हरीदूब है और ना ही कोई चारा मिलता है जिसके कारण भूख से तड़पती रहती है। कभी-कभार यदि किसी के ज्वार के खेत में या लोगों के पशुओं के साथ चारा चरने लगती है तो उसके ऊपर कहर ढाया जाता है।

जानकारी के अनुसार देखने में मिलता है कि सांड एवं गायों के नाक में लौहे के तार की नकेल डाल कर, उनकी पूछ को जलाकर, शरीर पर विभिन्न प्रकार से चोट पहुंचाकर यातना दी जाती है जिससे सांड और गाय इस भयंकर पीड़ा से कराहते हुए तड़पते रहते है। गाय एवं सांडों पर लगने वाली चोट एवं घाव पर कीड़े पड़ जाते हैं एवं उनका उपचार न होने की स्थिति में पूरे शरीर में कीड़े फैल जाते हैं और  इस बेजुबान मूक प्राणी को मरने के लिए मजबूर कर देते हैं। इस प्रकार इन की जीवन लीला समाप्त हो जाती है। गायों के चारे पानी को लेकर कई बार प्रशासन को अवगत करवाये जाने पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर रामचरण शर्मा ने कहा था कि चारे पानी की व्यवस्था करवा दी जायेगी लेकिन अभी तक इन बेजुबान जानवरों के लिए कोई व्यवस्था नही करवाई गई है। नारायणपुर उपतहसील के लोगो से गौदान के नाम से स्टाम्प पैपर पर शुल्क लेकर भी कोई व्यवस्था नही करवाई जाती है तो उनसे गोदान के नाम से टैक्स क्यों वसूला जाता है। यदि प्रशासन की अनदेखी के कारण ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन गाय, बछड़े तथा सांडो़ का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

 

संवाददाता - सुनील कुमार शर्मा नारायणपुर

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