बालिका दिवस पर NALSA और LADC योजनाओं पर विशेष जानकारी का आयोजन
अलवर (अमित कुमार भारद्वाज ) आज, 24 जनवरी 2025 को, बालिका दिवस के शुभ अवसर पर, सूर्यराइज यूनिवर्सिटी में एक विशेष शिविर का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के मूट कोर्ट में संपन्न हुआ। इस आयोजन में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (ADJ) मोहनलाल सोनी और लीगल एड डिफेंस काउंसल (LADC) के डिप्टी चीफ मनोज कुमार यादव ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बालिका दिवस की महत्ता को समझाना और NALSA (National Legal Services Authority) तथा LADC (Legal Aid Defence Counsel System) की योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाना था।
मुख्य अतिथि ADJ मोहनलाल सोनी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को NALSA द्वारा प्रदान की जा रही योजनाओं जैसे मुफ्त कानूनी सहायता, लोक अदालत, और वंचित वर्ग के अधिकारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि NALSA का उद्देश्य हर व्यक्ति तक न्याय सुनिश्चित करना है, चाहे उनकी सामाजिक या आर्थिक स्थिति कैसी भी हो।
LADC के डिप्टी चीफ मनोज कुमार यादव ने LADC सिस्टम के तहत गरीब और जरूरतमंदों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया और इसके महत्व को साझा किया। उन्होंने बताया कि LADC सिस्टम कमजोर वर्गों के लोगों को आपराधिक मामलों में सक्षम और निष्पक्ष कानूनी सहायता सुनिश्चित करता है।
इस कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के विधि विभाग द्वारा किया गया। विधि विभाग के HOD हरप्यारी महला, डिप्टी रजिस्ट्रार राकेश शर्मा, एडवोकेट पूजा जांगिड़, डॉ. सुचिका माथुर, डॉ. कैलाश सेवक, सविता सैनी, प्रति गोयल और अन्य स्टाफ व छात्रों ने इस आयोजन में भाग लिया। कार्यक्रम की एंकरिंग स्किल डिपार्टमेंट के धर्मेंद्र सिंह मरडाटू द्वारा की गई, जिन्होंने अपने प्रभावशाली संचालन से सभी को जोड़े रखा।
रजिस्ट्रार HK Mishra ने मुख्य अतिथि का स्वागत गुलदस्ते से किया और बालिकाओं के अधिकारों को सशक्त बनाने के लिए विश्वविद्यालय के प्रयासों को साझा किया। इस कार्यक्रम में छात्रों और स्टाफ ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इस महत्वपूर्ण विषय पर अपनी जिज्ञासाओं को व्यक्त किया।कार्यक्रम का समापन, अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन और बालिका दिवस के संदेश को समाज में आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ हुआ। इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि बेटियों के अधिकार और उनकी सुरक्षा समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए। यह कार्यक्रम बालिका सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।