धरती हमारी माता है इसको बचाना होगा - पूर्व तहसीलदार

उदयपुरवाटी (सुमेरसिंह राव) यह धरती हमारी माता है जो हमें माँ की तरह है पालती है जीवन के लिए आवश्यक सभी चीज़ें देती है इस ब्रम्हांड में जितने ग्रह /उपग्रह हैं केवल पृथ्वी पर ही जीवन है हमारा शरीरपाँच तत्वों यथा पृथ्वी जल वायु आकाश अग्नि से बना है किंतु बढ़ती जनसंख्या औद्योगीकरण प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन वनों की कटाई फैलता प्रदूषण तापमान में वृद्धि वर्षा की कमी अत्यधिक जल दोहन फसलों में कीटनाशकों का उपयोग जैसे कारणों से ही इस पृथ्वी का जीवन संकट में पड़ गया है इसी संकट को ध्यान में रखते हुए 22अप्रैल 1970 को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस हर वर्ष मनाने का निर्णय किया गया.
वर्ष 2025 की थीम है “ हमारी शक्ति हमारा ग्रह “
इस थीम के द्वारा जन मानस को पृथ्वी ग्रह को खतरों से बचाने के लिए जागरूक किया जा रहा है इसके अंतर्गत पृथ्वी को बचाने के विभिन्न उपायों को रैलियों कार्यशालाओं नाटकों वाद विवाद प्रतियोगिताओं आदि के द्वारा संदेश दिए जा रहे हैं.
आपको याद होगा कि बरसाती नदियों के पेटों में ऑफ़ सीजन में भी एक फ़ीट नीचे पानी उपलब्ध रहता था बैलों से कुए चलाकर सिंचाई की जाती थी सब्ज़ियों की बाड़ी में दवाइयाँ तो क्या रंगीन पानी भी नहीं जाने दिया जाता था हर तरफ़ हरियाली का मंजर रहता था हर चेहरे पर मुस्कान होती थी किंतु वह समय इतिहास बन गया आज काला धुआँ उगलते कारख़ाने कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र वायु को,शहरों का सीवरेज का पानी मृत इंसानों व जानवरों को नदियों में बहाने कारखानों का अपशिष्ट नदियों में डालने से नदियाँ,शहरों का गंदा कचरा प्लास्टिक मृत जानवरों से पृथ्वी पूरी तरह प्रदूषित हो चुकी है.
मृत जानवरों को निपटाने वाले गिद्ध प्रजाति के जानवर कौए आदि कहाँ है?
पृथ्वी को बचाने हेतु हम क्या करें
जल दोहन को विभिन्न तरीक़ों से कम करना सिंगल यूज़ प्लास्टिक को कम करना पुनः प्रयोज्य बैग बोतल कंटेनर का उपयोग प्लास्टिक कचरे का निस्तारण फ़सलों में कीटनाशक का उपयोग बंद करना ऊर्जा के नये स्रोत जैसे सौर पवन भूतापीय ज्वारीय पर निर्भरता बढ़ाना वृक्षारोपण को बढ़ावा देना सीवरेज के पानी को शुद्ध कर सिंचाई योग्य बनाना कारखानों के गन्दे पानी को साफ़ कर काम में लाने योग्य बनाना.
हमें कोविड काल का समय याद करना चाहिए जब स्वतः लोक डाउन रखा गया था तब आकाश हवा सब कितने साफ़ दिखाई देते थे किन्तु यह भी याद होगा कि जो ऑक्सीजन हरे वृक्षों से मिलती है उसके लिये लोग मारामारी कर रहे थे पैसे तो थे किंतु ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं था अत्यधिक वनों की कटाई का ही यह दुष्परिणाम था ।






