आरक्षण वर्गीकरण के विरोध मे जहाजपुर बंद, निकला ऐतिहासिक जुलूस दिया ज्ञापन
जहाजपुर (आज़ाद नेब) एसटी एससी वर्गों के आरक्षण वर्गीकरण के विरोध मे आज बुधवार को अंबेडकर विचार मंच के आह्वान पर शहर सम्पूर्ण बंद रहा ऐतिहासिक जुलूस निकाल राष्ट्रपति के नाम उपखंड अधिकारी सुरेंद्र बी पाटीदार को ज्ञापन सौंपा।
इस दौरान मीणा समाज अध्यक्ष श्योजी राम मीणा ने कहा कि आरक्षण का वर्गीकरण एवं छेड़छाड़ करके एससी एसटी समाज को तोड़ने की कोशिश की जा रही है जिसका हम पुरजोर तरीके से विरोध करते। अंबेडकर विचार मंच के अध्यक्ष रामजस मीणा ने एसटी एससी वर्ग के लोगों के साथ वर्षों से भेदभाव, छुआछूत, अमानवीय व्यवहार, बेगार, अत्याचार सहने पर भारत के संविधान निर्माताओं ने संविधान में कई प्रावधानों में इन वर्गों को राज्य की सेवाओं में तथा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का अधिकार दिया है, लेकिन इन अधिकारों को समय-समय पर न्यायालय के माध्यम से निष्प्रभावी करनें की कोशिश की जा रही है जिसका एसटी एससी समाज पुरजोर तरीके से विरोध करता है। इसी तरह रामकुवार मीणा, भवानी राम रेगर सहित अन्य लोगों ने संबोधित किया।
उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरोध में सुबह दस बजे से ही चावंडिया चौराहे पर लोग एकत्रित होने लगे थे धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों से भारी तादाद में लोग आएं। जुलूस चावंडिया चौराहे से हनुमान गेट, चमन चोराहा, नौ चौक, सदर बाजार, गलगट्टी चौराहे से तकिया मस्जिद, बस स्टैंड होते हुए उपखंड कार्यालय पहुंचा। जुलूस में शामिल हुए लोगों के लिए अंजुमन कमेटी आम मुसलमानान द्वारा चमन चौराहे पर पानी व्यवस्था की।
ज्ञापन में बताया गया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा सिविल अपील 2317/2011 पंजाब राज्य बनाम दविंद्र सिंह में पारित निर्णय को लागू नहीं कर अनुसूचित जाति एवं जनजाति वालों के साथ हुए भेदभाव, छुआछूत, अमानवीय व्यवहार, बेगार, अत्याचार की वजह में अत्यधिक पिछड़ने के कारण इन बसों को सामाजिक मुख्य धारा में लाने के लिए भारत के संविधान निर्माताओं ने संविधान में अनुच्छेद 12, 14, 15, 16, 17, 46, 330, 332, 335, 341 एवं 342 इत्यादि का प्रावधान कर इन वर्गों को राज्य की सेवाओं में तथा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का अधिकार दिया है, लेकिन इन अधिकारों को समय-समय पर न्यायालय के माध्यम से निष्प्रभावी करनें की कोशिश की है, जिसके कारण संविधान में 77वां 81वा, 82वां एव 85वां संशोधन किये गये। इसका नवीनतम उदाहरण माननीय उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा 1 अगस्त को दिया गया निर्णय है इसके द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के संवैधानिक प्रावधानों में हस्तक्षेप किया गया है। इस निर्णय का अनुसूचित जाति/जनजाति संयुक्त संघर्ष समिति राजस्थान घोर विरोध करती है। अनुच्छेद 341 में राष्ट्रपति व संसद के अलावा अनुसूचित जाति की सूची में किसी तरह के परिवर्तन के लिए कोई अधिकृत नहीं है।
आरक्षण बचाओ संगठन समिति अध्यक्ष कालू लाल मीणा, रेगर, शंकर खटीक, शिवजी राम कस्टम, चेयरमैन नरेश मीणा, रामकुवार मीणा, जीएसएस अध्यक्ष सत्यनारायण मीणा, पुर्व चेयरमैन गेगाराम मीणा, विवेक मीणा, सीआर मोहित मीणा, हेमराज निर्भय, रामराज मीणा, ब्रह्म दत्त रेगर, भैरू लाल रेगर, धर्म राज मीणा, जाकिर शाह, आसिफ मंसूरी, दीपक मीणा, आशीष मीणा, बाबू लाल मीणा, अभय सिंह मीणा, सांवरिया सालवी, जयसिंह मीणा सहित हजारों महिलाएं एवं पुरूष मौजूद थे।