पहली बार खानुआ में वीर शहीदों के वंशजों का किया गया सम्मान
महाराणा सांगा आज भी भारत के प्रत्येक युवा के लिये प्रेरणा स्रोत - जवाहर सिंह बेढम

खानुआ में वर्षभर युवाओं के प्रेरक कार्यक्रम होंगे आयोजित - ओंकार सिंह लखावत
भरतपुुर, (कौशलेन्द्र दत्तात्रेय)। जिले के खानुआ स्थित ऐतिहासिक युद्ध स्मारक स्थल पर राजस्थान धरोहर प्राधिकरण संरक्षण की ओर से मंगलवार को पहली बार शहीदों को श्रृद्धांजलि एवं महाराणा सांगा एवं बाबर के मघ्य हुये युद्ध में शहीद हुये राजा-महाराजा के वंशजों का सम्मान समारोह गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गया जिसमें देशभर से वीर शहीदों के वंशज उपस्थित हुये।
गृह राज्य मंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि महाराणा सांगा ने देश, धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिये भारतवर्ष के सभी राजा-महाराजाओं को एक करते हुये खानुआ के युद्ध में अदम्य साहस एवं शौर्य का प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा कि महारणा सांगा ने 100 युद्ध लडे जिनमें से 99 में विजय प्राप्त की तथा खातौली, बयाना के युद्धों में विदेशी आक्रांताओं को धूल चटाने का कार्य किया था। महाराणा सांगा की वीरता अदम्य साहस एवं युद्ध कौशल का तत्कालीन समय में सभी विदेशी हमलावर लोहा मानते थे। उन्होंने कहा कि खानुआ का युद्ध भारत एवं विदेशी आक्रांताओं के बीच महत्वपूर्ण घटना थी, इस युद्ध का विश्व पटल पर प्रभाव पडा था। उन्होंने कहा कि महाराणा सांगा के नेतृत्व में सभी जाति-धर्म के योद्धाओं ने युद्ध में भाग लेकर विदेशी आक्रांताओं का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने कहा कि महाराणा सांगा आज भी भारत के प्रत्येक युवा के लिये प्रेरणा स्रोत व सम्मानीय हैं। आने वाली पीढियां पूरे आदरभाव के साथ खानुआ युद्ध में भाग लेने वाले शहीदों की ऋणी रहेंगी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने खानुआ युद्ध स्मारक के विकास के लिये 3 करोड रूपये की अतिरिक्त स्वीकृति जारी की है इससे सम्पूर्ण क्षेत्र का विकास कर डिजीटल तकनीकी के साथ युवाओं को प्रेरणादायक जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा। इससे पूर्व उन्होंने महाराणा सांगा एवं युद्ध में शहीद हुये वीरों को पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया तथा खानुआ के युद्ध स्थल पर बने द्वार का फीता काटकर उद्वघाटन किया।
राजस्थान धरोहर प्राधिकरण संरक्षण के अध्यक्ष आंेकार सिंह लखावत ने कहा कि खानुआ का युद्ध 1527 में लडा गया था जिसमें महाराणा सांगा के नेतृत्व में देशभर के राजा-महाराजाओं ने भाग लेकर देश-धर्म की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुतियां दी थी। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में अनेक विदेशी आक्रांता आये लेकिन हमारे वीर योद्धाओं के अदम्य साहस के कारण लम्बे समय तक देश को गुलाम नहीं कर पाये। उन्होंने कहा कि महाराणा सांगा के वैचारिक एवं शारीरिक वंशज आज भी जीवित हैं कोई भी देश को गुलाम नहीं कर सकता, हमारी विशेषता रही है कि संकट की स्थिति में एक साथ खडे होते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के संरक्षण के लिये लगातार कार्य कर रही है जिससे आने वाली पीढियों को ऐसे शौर्य स्थलों से देश की सुरक्षा की प्रेरणा मिलती रहे। उन्होंने खानुआ युद्ध में भाग लेने वाले वीर शहीदों के वंशजों को पहली बार मंच पर एक साथ सम्मान का ऐतिहासिक पल बताते हुये कहा कि अब इस स्मारक पर प्रत्येक शहीद के नाम पर कार्यक्रम किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि खानुआ में वर्षभर पर्यटक एवं देश के युवा आयें इसके लिये वार्षिक प्लान बनाया जायेगा तथा वर्ष में एक बार राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी आयोजित की जायेगी।
बयाना विधायक ऋतु बनावत ने कहा कि मेवाड की धरा पर हमेशा वीर प्रतापी राजा जन्मे हैं जिनके शौर्य एवं अदम्य साहस के कारण आज भारत सुरक्षित है। उन्होंने मेवाड की वीरगाथा पर आधारित गीत की प्रस्तुति देकर वीरता का बखान किया। पूर्व विधायक एवं महारणा सांगा के वंशज रणधीर सिंह भिण्डर ने मेवाड के 77वें वंशज महाराणा विश्वनाथ का संदेश पढकर सुनाया। उन्होंने कहा कि इतिहास में महाराणा सांगा ने सम्पूर्ण देश को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य करते हुये विदेशी आक्रांताओं से पूरी क्षमता से युद्ध किया था। तत्कालीन समय में हमारे राजा-महाराजा किसी भी युद्ध में आमने-सामने की लडाई में किसी से कम नहीं थे। उनके लिये पूरा आदर और सम्मान दिये जाने की आवश्यकता है जिससे युवा पीढी को प्रेरणा मिले। समारोह को महेन्द्र सिंह मग्गो, प्रो. शिवसिंह सारंग, महेन्द्र प्रताप सिंह कोठारिया, पुष्पेन्द्र सिंह कुडकी, मृत्युंजय सिंह बिजोलिया ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम आयोजक अनुपम सिंह एवं स्मारक समिति के अध्यक्ष हरिओम सिंह ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विधायक नोक्षम चौधरी, जिला अध्यक्ष शिवानी दायमा, पूर्व सांसद रामस्वरूप कोली, पूर्व विधायक बच्चू सिंह बंशीवाल, हेमराज मीणा, दौलत सिंह, भागीरथ सिंह सहित बडी संख्या में जनसमूह उपस्थित रहा।
इन वंशजों का हुआ सम्मान - सम्मान समारोह में अतिथियों द्वारा गोकुल सिंह परमार के वंशज मृत्युंजय सिंह, राणा सांगा के वंशज राव रणधीर सिंह भिंडर, माणकचन्द चौहान के वंशज महेश प्रताप सिंह और मृगराज सिंह, झाला अज्जा के वंशज करण सिंह झाला और पुण्डराक्ष्य सिंह, राव रतन सिंह मेडता के वंशज पुष्पेन्द्र सिंह कुडकी और हरेन्द्र सिंह कुडकी, राव जोगा जी कानोड के वंशज राव शिवसिंह सारंगदेव, चन्द्रभान सिंह के वंशज करण विजय सिंह मैनपुरी तथा हसन खां मेवाती संस्थान के अध्यक्ष सालिम हुसैन को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।






