जैसलमेर के बईया गांव में ओरण और गौचर बचाने की लड़ाई तेज, ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठे शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी

Nov 15, 2024 - 19:24
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जैसलमेर के बईया गांव में ओरण और गौचर बचाने की लड़ाई तेज, ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठे शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी

जैसलमेर के बईया गांव में सोलर कंपनी की गाड़ियां जब ओरण और गौचर की पवित्र भूमि पर जबरन काम शुरू करने पहुंचीं, तो ग्रामीणों ने शांति प्रिय तरीके से उन्हें रोकते हुए धरना दे दिया। ग्रामीणों की मांग साफ थी—जब तक सरकार ओरण और गौचर भूमि को राजस्व का दर्जा देकर रिकॉर्ड में सुरक्षित नहीं करती, तब तक यहां किसी भी तरह का कार्य नहीं होगा।

ओरण और गौचर केवल जमीन के टुकड़े नहीं, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और प्रकृति संरक्षण के प्रतीक हैं। ये भूमियां हजारों गायों और अन्य पशुओं के लिए चारागाह हैं और उनके बिना ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों बर्बाद हो जाएंगे। इन भूमियों पर सोलर प्रोजेक्ट्स शुरू करना न केवल पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ेगा, बल्कि पशु-धन और जैव विविधता को भी खत्म कर देगा।

जैसे ही यह खबर शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी तक पहुंची, वे तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गए। भाटी ने अधिकारियों से स्पष्ट किया कि यह केवल जमीन की लड़ाई नहीं है, यह गायों, प्रकृति और पश्चिमी राजस्थान के पर्यावरण को बचाने का संघर्ष है। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से लिखित में आश्वासन की मांग की कि ओरण और गौचर भूमि को संरक्षित किया जाएगा। जब अधिकारियों ने लिखित में वादा देने से मना किया, तो भाटी ने सख्त लहजे में कहा कि जब तक लिखित गारंटी नहीं मिलेगी, सोलर कंपनी यहां काम शुरू नहीं कर सकती।

इस दौरान, जब पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे दो ग्रामीणों को हिरासत में लिया, तो भाटी खुद पुलिस गाड़ियों तक गए और दोनों को रिहा करवाया। उन्होंने पुलिस से तीखे सवाल किए और पूछा, “इन निर्दोष ग्रामीणों को किस जुर्म में गिरफ्तार किया गया?”

भाटी ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि पश्चिमी राजस्थान का यह इलाका हजारों मेगावाट बिजली पैदा करता है, लेकिन यहां की बिजली बाहर के राज्यों को भेजी जाती है। स्थानीय ग्रामीणों और उनके पशुधन को इसका कोई लाभ नहीं मिलता। उन्होंने सवाल किया कि क्या विकास के नाम पर हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण की बलि दी जाएगी?

ओरण और गौचर की भूमि सिर्फ चारागाह नहीं, बल्कि राजस्थान की जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने का अहम हिस्सा हैं। इन स्थानों पर निर्माण कार्य होने से न केवल स्थानीय पर्यावरण प्रभावित होगा, बल्कि रेगिस्तानी इलाकों में बढ़ती गर्मी, पानी की कमी और जैव विविधता का विनाश भी तेज होगा।

भाटी ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन सिर्फ बईया गांव तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे राजस्थान की पर्यावरणीय और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने का संघर्ष है। धरना अभी जारी है, और ग्रामीणों के साथ खड़े होकर भाटी ने यह संदेश दिया है कि यह लड़ाई हमारी आने वाली पीढ़ियों और उनकी सांसों के लिए है।

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