सरकारी जमीन पर कब्जे के बादल 10 माह बाद भी नही हुई कार्यवाही प्रशासन मौन, जिम्मेदार कौन
भीलवाडा / बृजेश शर्मा
भीलवाड़ा शहर में आजाद नगर स्थित मुरली वाटिका के पीछे अतिक्रमियो द्वारा मुख्य सड़क पर लोहे की फाटक लगाकर रास्ता जाम कर दिया। जानकारी के अनुसार कुंभा सर्कल स्थित मुरली वाटिका के मालिक रमेश जांगिड़ व नगर परिषद के पूर्व कर्मचारी ने मिली भगत कर दोनों ही व्यक्तियो ने 10 वर्ष पूर्व आपसी रजामंदी से आम रास्ते पर लोहे की फाटक लगाकर रास्ता बंद कर दिया। लेकिन प्रशासन की कुंभ करनी नींद अभी तक खुलने का नाम नहीं ले रही है। इस बाबत मंजू सुथार ने अतिक्रमियो के खिलाफ नगर विकास न्यास में लिखित में रिपोर्ट दर्ज करवाई लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।
जानकारी अनुसार 10 माह पूर्व कार्यवाहक सचिव रजनी माधीवाल को अवगत कराया जिस पर माधीवाल ने तात्कालीन तहसील दार शैतान सिंह यादव को तलब कर उचित कार्यवाही करने के आदेश दिए। जिस पर तहसील दार ने मोके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया। जिस पर अतिक्रमण होना पाया गया।
व तहसीलदार यादव ने अतिक्रमियों से मोबाईल पर संपर्क कर तीन दिन में अतिक्रमण हटाने की हिदायत दी। जिस पर अतिक्रमी पूर्व नगर परिषद् कर्मचारी कैलाश माली ने नगर विकास न्यास के तत्कालीन भ्र्ष्टाचारी अधिशाषी अभियंता रामेश्वर शर्मा का हवाला देते हुए आम रास्ते पर फाटक लगाने की बात कही जिस पर तहसीलदार ने अतिकर्मियों को बताया की इन्ही कारनामों की वजह से दुर्भाग्य वश केंद्रीय कारागृह में सजा काटनी पड़ी,
भूमाफियाओं को लेकर कार्यवाही करने की फोरी बात करने वाले सरकारी नुमाइंदे निजी जमींन तो ठीक लेकिन सरकारी जमीनों को ही मुक्त करने में अब तक नाकाम साबित हो रहे है। इसी का नतीजा यह है की सरकारी जमीनों पर कब्जे के मामले सामने आने लगे है। जिन लोगों के पास कागज पूरे है। उन्हें जरूर गाहे बगाहे सरकार के नाम पर सरकारी नुमाइंदे परेशान करने पर बाज नहीं आ रहे है। ऐसे में आम लोग परेशान हो रहे है। तो सरकारी जमींन पर कब्ज़ा करने वाले मजे में है। ऐसे में कब्ज़ा करने वालों के हौसले बुलंद हो चुके है, सूत्र बताते है की यदि प्रशासनिक अधिकारीयों ने इस मामले में संज्ञान नहीं लिया तो कई सरकारी जमींन आज नहीं तो कल सरकार के हाथ से निकल कर भ्रष्टाचारियों के हाथों से होते हुए कब्ज़ा धारियों के खाते में चली जाएगी। इसके बाद लम्बी कानूनी प्रक्रिया होगी जिसमे सरकार सम्भवतः कुछ भी नहीं कर पाएगी।
जमीन को लेकर कार्यवाही की दरकार
अब सरकारी अधिकारी, कर्मचारी महज कागजी कार्यवाही के आधार पर कुछ तथा कथित लोगों को डराने का कार्य कर रहे है जबकि यदि कोई कब्जे करने का प्रयास करता है तो उसे सरकारी जमीं से हटाकर जमींन सरकार को दिलानी चाहिए लेकिन विडंबना ये है की किसी मामले में कोई कार्यवाही नहीं होती है।
अतिक्रमण भी बड़ी समस्या
भीलवाड़ा शहर एक व्यावसायिक व औध्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद भी ऐसे में यहां पर अतिक्रमण एक नासूर जैसा हो गया है , आए दिन लोग अतिक्रमण के नाम पर अपना निर्माण कहीं पर आगे खिसका लेते है तो कभी सरकारी जमीन और रास्ते पर अपना सामान जमा लेते हैं। नतीजतन आम लोगों को आवागमन में जबरदस्त दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
अधिकारी मुआयना करने को तैयार नहीं
सूत्र बताते है की भीलवाड़ा में सरकारी अधिकारी मौका मुआयना करने के लिए तैयार नहीं है। महज अपने दफ्तरों में बैठकर फाइलों के पन्ने पलटने के अतिरिक्त कोई मौका मुआयना नहीं करते ऐसे में कई लोग जो कागजों के साथ पूरी तरह पुख्ता है उन तक को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।