सिरस जैन मन्दिर आस्था की स्थली- मेले में उमड़े श्रद्धालु : प्रमुख जैन मन्दिर में शामिल है सिरस जैन मन्दिर

Apr 12, 2023 - 20:25
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सिरस जैन मन्दिर आस्था की स्थली- मेले में उमड़े श्रद्धालु  : प्रमुख जैन मन्दिर में शामिल है सिरस जैन मन्दिर

 वैर ,भरतपुर(कौशलेंद्र दत्तात्रेय)

श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ ट्रस्ट सिरस,श्री श्वेताम्बर जैन समुदाय की ओर से उपखण्ड वैर के सिरस स्थित विश्व विख्यात कलिकाल कल्पतरू श्री महावीर स्वामी सिरस धाम पर कल्पतरू श्री महावीर स्वामी रथयात्रा मेला में देश विदेश के जैन समुदाय के लोग शामिल हुए। ये जैन मंदिर दुनिया के जैन समुदाय के मंदिरों की सूची में शामिल है और सिरस जैन मंदिर के प्रति जैन समाज की आस्था कायम है। नगर पालिका वैर के मनोनीत पार्षद  सतीशचन्द जैन ने बताया कि भुसावर-वैर सडक मार्ग सिरस मोड़ से एक किमी दूर श्री महावीर स्वामी जी का भव्य मंदिर है। इस मंदिर के प्रति जैन समुदाय व क्षेत्र के लोगों की अपार आस्था कायम है। देश विदेश के जैन समुदाय के  जैन बंधु समय-समय पर दर्शन करने के लिए आते हैं। 
- श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ सिरस आस्था की स्थली
.भरतपुर जिले के उपखण्ड वैर के गांव सिरस में स्थित श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ जैन समुदाय का आस्था का केन्द्र है,जहां जैन समुदाय के कलिकाल कल्पतरू भगवान श्री महावीरजी की प्रतिमा विराजमान है,जिसके जैन समुदाय और अन्य धर्म के लोग भी दर्शन को आते है, जिनमें जैन व वैश्य समाज के लोग सर्वाधिक आता है। ये जैन समुदाय के विश्व  प्रसिद्व जैन मन्दिरों की सूची में शामिल है और करीब दो हजार बर्ष पुराना है। मन्दिर की देखभाल व रखरखाव को ट्रस्ट बना हुआ है। साल में अनेक उत्सव,मेला एवं अन्य धार्मिक कार्यक्रम होते है।  

 कुम्भकार को मिटटी खुदाई मिली प्रतिमा
गांव सिरस के जैन मन्दिर में विराजमान भगवान कलिकाल कल्पतरू भगवान श्री महावीर जी की प्रतिमा को लेकर अनेक किदवंतियां है,जिनमें कुम्हार को मिटटी खुदाई मिली सर्वाधिक है। जैन समुदाय के लोगों ने बताया कि करीब 300 साल पहले गांव सिरस निवासी एक कुम्भकार परिवार मिटटी के वर्तन बनाने को पोखर से मिटटी निकाल रहा था,उसी समय मिटटी की खुदाई करते समय प्रतिमा मिलीजिसने उसे गांव के लोगों को एकत्रित कर चबूतरा पर विराजमान करा दिया पूजा.अर्चना करते रहे। आज प्रतिमा के प्रति जैन समुदाय की आस्था है,जो देश.विदेश के दर्शन का आते है।
.- सिरस की कई बार चोरी हुई प्रतिमा
ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश जैन ने बताया कि अज्ञात चोर भी गांव सिरस स्थित जैन मन्दिर में विराजमान भगवान श्री महावीर जी की प्रतिमा को चोरी करने में कई बार असफल रहे और चार बार प्रतिमा चोरी भी हो गई,लेकिन प्रतिमा का चमत्कार देख चोर प्रतिमा को वापिस छोड गए जो आज भी आमजन में धारणा है कि प्रतिमा ने अज्ञात चोरों को अन्धा एवं लंगड़ा कर दिया,जो चोरी करने में सफल हुए लेकिन प्रतिमा की शक्ति एवं चमत्कार को देख झुक गए और प्रतिमा को वापिस छोड गए। ये प्रतिमा साल 1970 एवं 1980 एवं 1986 में प्रतिमा चोरी हुई,अन्तिम चोरी 25 नवम्बर 1986 में हुई,उस समय चोर प्रतिमा को हलैना के पास जंगल में पटक गए।  चौथी चोरी लॉकडाउन में हुई,चोर केवल छत्र,मुकुट आदि को चुरा कर ले गए,जिसे भी चोर वापिस मन्दिर के पास ही जंगल में पटक गए।
.- वैशाख में लगता मेला
श्री श्वेताम्बर जैन तीर्थ ट्रस्ट एवं जैन समुदाय की ओर से गांव सिरस के मन्दिर पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम होते है,लेकिन वैशाख वदी पंचमी के दिन प्रति साल मेला लगता है,जिस दिन रथयात्रा निकाली जाती है और अनेक कार्यक्रम आयोजित होते है। जैन समाज के विनोद कुमार जैन ने बताया कि वैशाख वदी पंचमी के दिन दीवान जोधाराज पल्लीवाल बहिन से मिलने रथ से आए,जिनकी यादगार में प्रतिवर्ष रथ मेला लगता है। जिसमें राजस्थान,गुजरात,उत्तरप्रदेश, दिल्ली,महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश,हरियाणा आदि प्रान्त से जैन समुदाय के लोग आते है।
.- व्यापार  का अभाव देख किया पलायन
गांव सिरस में करीब 250 पहले तक जैन समुदाय के अनेक परिवार भी निवास करते,लेकिन धन्धा कमजोर एवं सूखा से परेशान होकर व्यापार के उददेश्य ये अन्य स्थान को पलायन कर गए,जहां उनका धन्धा पनप गया और वहां ही स्थाई निवास बना लिया। जो केवल गांव सिरस में मन्दिर के दर्शन का आते है और कुछ दिन ठहराव का वापिस लौट जाते है। विनोद कुमार जैन ने बताया कि सिरस गांव प्राचीनकाल में जैन समुदाय का था,जहां भारी सख्यां में जैन परिवार रहते,जिनके आज भी गांव में घर बने हुए है,ग्रामीणों द्वारा कभी.कभी गांव में निर्माण कराते समय मन्दिर के पत्थर व प्राचीन ईंट आदि निकलते है और गांव के लोग आज भी गांव सिरस को जैन समुदाय का गांव बताते है।
.- विदेशी शासकों ने किया परेशान
गांव सिरस के गणमान्य नगारिक ओमप्रकाश  ने बताया कि गांव सिरस प्राचीनकाल से जैन समाज का रहा। यहां जैन मन्दिर है, जिसमें भगवान श्री महावीर जी की प्रतिमा स्थापित है। गांव के बुर्जग लोग बताते थे कि हजारों साल पहले विदेशी एवं मुगल वंश के शासकों के भयं के कारण जैन समाज के अनेक परिवार गांव से पलायन कर गए,गांव में आज एक भी परिवार जैन समाज का नही रहता है,पडौसी गांव हलैना,मूडिया साद,मौलोनी,वैर,खेरलीगंज आदि में जैन समाज रहता है,जो गांव में जैन मन्दिर के दर्शन को आते रहते है।
- .भाई.बहिन के प्रेम का प्रतीक
गांव सिरस का जैन मन्दिर भाई.बहिन के प्रेम का प्रतीक कहलाता है,जिसका आज भी गुणगान होता है। ट्रस्ट के अध्यक्ष महावीरप्रसाद जैन एवं उपाध्यक्ष बाबूलाल जैन ने बताया कि संवत 1828 में भरतपुर रियासत के तत्कालीन महाराजा के दीवान रहे अलवर जिले के गांव हरसाणा निवासी दीवान जोधराज पल्लीवाल की व्याही थी,जो अपनी बहिन के सर्वाधिक प्रेम एवं लगाव रखते थे,एक बार दीवान पल्लीवाल गांव सिरस में बहिन से मिलने आए,जिन्होने बहिन की कृपा से भगवान श्री महावीर जी की प्रतिमा के दर्शन किए,जो एक चबूतरा पर विराजमान थी,दीवान पल्लीवाल ने बहिन के आग्रह पर गांव के लोगों को एकत्रित कर मन्दिर निर्माण कराया और प्रतिमा की प्रतिष्ठा कराई। जैन समुदाय सहित अन्य ग्रामीण आज भी पुराने मन्दिर को भाई.बहिन का प्रेम का प्रतीक वाला मन्दिर कहते है।

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