राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य के खात्मे की साजिश नहीं होगी बर्दाश्त
कोटा (राजस्थान / रामभरोस मीना) राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल अभयारण्य के खात्मे की राज्य सरकार की साजिश बरदाश्त नहीं की जायेगी। यह पूरी तरह अव्यावहारिक और कोटा संभाग के लोगों के साथ नाइंसाफी है। राज्य के ऊर्जा व वन मंत्री का इस योजना में सहमति समझ से परे है कि उन्होंने किस आधार पर इसको अपनी स्वीकृति दी है। उन्हें यह जनता के सामने स्पष्ट करना होगा कि वह जनसेवक हैं या फिर जनता के हितों से खिलवाड़ करने वाले। यदि शहरीकरण वन्यजीवों और जलचरों-जलजीवों की कीमत पर होगा, वह कतई स्वीकार्य नहीं है। हम सब इसका पुरजोश विरोध करेंगे और आने वाले दिनों में हमारी इस बाबत पर्यावरणविदों, जीव विज्ञानियों और वन्य जीव विशेषज्ञों का एक सेमिनार आयोजित करने की योजना बनाएंगे ताकि इस विरोध अभियान और घड़ियाल अभयारण्य बचाने के अभियान की योजना को अंतिम रूप दिया जा सके। पर्यावरणविद् राम भरोस मीणा ने बताया कि कोटा में 1060 हेक्टेयर वन भूमि से जंगल उजाड़ना राष्ट्रीय घड़ियाल सेंक्चूरी को खत्म करने तक ही सीमित नहीं है इससे पारिस्थितिकी सिस्टम गड़बड़ा जाएगा, जलीय जीव घड़ियाल मगरमच्छ के साथ सभी जीवों को खतरा होगा भालू पेंथर का जीवन ख़तरे में रहेगा साथ साथ विमुक्त किये जाने वाले क्षेत्र की भरपाई धौलपुर करौली के वनखण्ड कों सामिल कर करना बेमानी है, जंगलों को बनने में सैकड़ों वर्ष लगते हैं वहीं ऐसा करने पर आम जनता को कष्ट भोगना पड़ता है जो अनुचित है, यदि घड़ियाल नहीं रहें हैं तो कोटा में घड़ियालों कों पुनः स्थापित कर राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल सेंक्चूरी को आबाद किया जाएं ना कि शहर के विकास के नाम पर बर्बाद।