बाल ‘पोर्नोग्राफी‘ देखना अपराध नहीं ? Supreme Court याचिका पर कल सुनाएगा फैसला

Sep 22, 2024 - 19:26
Sep 22, 2024 - 19:29
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बाल ‘पोर्नोग्राफी‘ देखना अपराध नहीं ? Supreme Court याचिका पर कल सुनाएगा फैसला
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय सोमवार को एक याचिका पर फैसला सुनाएगा, जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई जिसमें कहा गया है कि केवल बाल ‘पोर्नोग्राफी’ को डाउनलोड करना और उसे देखना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत आने वाला अपराध नहीं है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के फैसला सुनाने की संभावना है।
उच्चतम न्यायालय ने इसके पहले उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी, जिसमें कहा गया था कि बाल पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना और देखना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो)अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराध नहीं है।
मद्रास उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी को अपने मोबाइल फोन पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री (पोर्नोग्राफी) डाउनलोड करने के आरोप में 28 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि इन दिनों बच्चे पोर्नोग्राफी देखने के गंभीर मुद्दे से जूझ रहे हैं और उन्हें दंडित करने के बजाय, समाज को उन्हें शिक्षित करने के लिए ‘पर्याप्त परिपक्व’ होना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में दो याचिकाकर्ता संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का की दलीलों पर ध्यान दिया था कि उच्च न्यायालय का फैसला इस संबंध में कानूनों के विपरीत था।
वरिष्ठ अधिवक्ता फरीदाबाद स्थित गैर सरकारी संगठन ‘जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रेन अलायंस’ और नयी दिल्ली स्थित ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की ओर से पेश हुए। ये दोनों संगठन बच्चों के कल्याण के लिए काम करते हैं। इसके पहले उच्च न्यायालय ने एस हरीश के खिलाफ पॉक्सो कानून-2012 और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया था।

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