संगम विश्वविद्यालय में “प्रभावी शासन” विषयक प्रशासनिक विकास कार्यक्रम का सफल आयोजन

भीलवाड़ा (राजकुमार गोयल ) संगम विश्वविद्यालय, भीलवाड़ा में 25 अप्रैल से 1 मई 2025 तक “उच्च शिक्षा प्रणाली में प्रभावी शासन” विषय पर एक सप्ताहीय प्रशासनिक विकास कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य विश्वविद्यालय के नॉन-टीचिंग स्टाफ को प्रशासनिक दक्षता, डिजिटल साक्षरता और सेवा उत्कृष्टता की दिशा में सशक्त बनाना था। यह आयोजन एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (AIU), विश्वविद्यालय के अकादमिक एवं प्रशासनिक विकास केंद्र (AADC) तथा आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ, जिसमें 70 से अधिक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. करुणेश सक्सेना ने समय प्रबंधन, तनाव नियंत्रण और सकारात्मक कार्य वातावरण की महत्ता पर बल दिया। पूरे सप्ताह चले इस कार्यक्रम में प्रो. राजीव मेहता, प्रो. के.के. शर्मा, डॉ. विकास सोमानी, डॉ. हेमंत त्रिवेदी, सीए अयुष जैन और डॉ. दीपक काबरा सहित विशेषज्ञों द्वारा कार्य-जीवन संतुलन, उच्च शिक्षा के नियमन, डिजिटल उपकरणों का प्रशासनिक उपयोग (ERP, Excel, Google Tools), वित्तीय प्रशासन, डेटा सुरक्षा, अकादमिक रिकॉर्ड प्रबंधन और Digi Locker जैसे विषयों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया ।
समापन सत्र में IQAC निदेशक प्रो. के.के. शर्मा ने इसे “सफल प्रयास” बताते हुए कहा कि यह कार्यक्रम पूर्ण पारदर्शिता, सहभागिता और जागरूकता का उदाहरण रहा। प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए इसे अत्यंत उपयोगी बताया—शाख्शी पाटवारी ने इसे व्यावहारिक रूप से सीखने का अवसर कहा, नंदकिशोर शर्मा ने डिजिटल टूल्स की जानकारी को लाभकारी बताया, मनीषा दरयानी ने कार्य प्राथमिकता, मार्केटिंग और बजट प्रबंधन में स्पष्टता प्राप्त की, श्याम सुंदर पारीक ने Digi Locker के उपयोग को सराहा, पूसालाल ने कृषि क्षेत्र में डिजिटल टूल्स के प्रयोग की उपयोगिता पर प्रकाश डाला, दिव्या ने सत्रों को उत्कृष्ट बताया, और अनुराग ने वित्तीय मूल्यों की समझ और व्यक्तिगत विकास पर फीडबैक दिया। रजिस्ट्रार प्रो. राजीव मेहता ने AIU टीम का आभार व्यक्त करते हुए नॉन-टीचिंग स्टाफ को संस्थान की रीढ़ बताते हुए कहा कि भविष्य में भी ऐसे नवाचारात्मक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
प्रो वाइस चांसलर प्रो. (डॉ.) मानस रंजन पाणिग्राही ने IQAC, AADC और AIU को इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि यह केवल शुरुआत है—स्व-विकास, कौशल अद्यतन और समय निवेश के इस प्रयास से संगम विश्वविद्यालय की कार्य संस्कृति और अधिक सशक्त होगी। समापन में प्रो. प्रीति मेहता ने मंच संचालनकर्ता सीमा काबरा सहित सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और विशेषज्ञों का आभार प्रकट किया तथा बताया कि भविष्य में ऐसे कार्यक्रम विश्वविद्यालय से बाहर अन्य संस्थानों के लिए भी आयोजित किए जाएंगे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. नीलेश महेश्वरी, डॉ. राजेन्द्र कच्छावा, दीपक पाराशर और अभिलाषा भट्ट का विशेष योगदान रहा।






