पड़ासली में अक्षय तृतीया का भव्य आयोजन: ऋषभ तीर्थकर ने सर्वप्रथम आत्म विद्या (धर्म) का प्रवर्तन किया- मुनि संजय कुमार

राजसमंद - शतावधानी मुनि श्री संजय कुमार ने जन संबोधन में कहा- सतयुग के प्रथम काल खण्ड में असि, मसी व क्रजी के आदि कर्ता भगवान तीर्थकर गन्ष में देव हुए है। इस सत युग के प्रथम अध्यात्म विधा के पुणेता हुए है। प्रथम राजा , प्रथम तीर्थकर धर्म के आदि कर्ता आदिनाथ भगवान हुए । तीर्थकर किसी सम्प्रदाय में दीक्षा नहीं लेते है।
मुनि प्रसन्न कुमार ने कहा महापुरुषों को मनाने का अर्थ है उनके कल्याण कारी शिक्षा को आत्मसात करना अपने भीतर उतारना ।
इस दौरान मुनि प्रकाश कुमार जी एवं मुनि धैर्य कुमार जी भी उपस्थित रहे । इस अवसर पर आमेट , रेलमगरा , दिवेर , रिछेड़ , चारभुजा , अंटालिया , आत्मा , लांबोड़ी , गोमती , मजेरा आदि गांवो के लोग उपस्थित रहे ।
- पप्पू लाल






