दुग्ध व्यवसाय से सास-बहू ने मजबूत की परिवार की आर्थिक हालत, चाचा-भतीजा करते घर-घर से दूध एकत्रित

लुपिन ने उपलब्ध कराई खोआ व पनीर बनाने की मशीन

May 15, 2021 - 17:53
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दुग्ध व्यवसाय से सास-बहू ने मजबूत की परिवार की आर्थिक हालत, चाचा-भतीजा करते घर-घर से दूध एकत्रित

भुसावर (भरतपुर, राजस्थान/ रामचन्द सैनी) भारत कृषि एवं पशुपालन देश है,जहां कृषि व पशुधन व्यवसाय में पुरूष के साथ महिलाए भी हाथ बटाने लगी है,जो दुग्ध व्यवसाय को बढावा देकर दुगध से अनेक प्रकार की खाद्य पदार्थ बना कर बाजार व जरूरमन्त परिवारों के शादी,उत्सव एवं अन्य कार्यक्रम में पहुंचा कर परिवार की आर्थिक हालत मजबूत करने लगी है,दुग्ध व्यवसाय को बढावा देने के लिए लुपिन फाउन्डेशन दुग्ध का कारोबार करने वाले एवं दुग्ध डेयरी के संचालकों की मददगार बन कर दुग्ध से खोआ,पनीर एवं घी आदि खाद्य पदार्थ बनाने की मशीन उपलब्ध करा रही है,ऐसा नजारा गांव इरनियां में देखने को मिला,जहां कमला गुर्जर एवं उसकी भजीता बहू धौहरी गुर्जर ने साल 2020 में लुपिन के सहयोग से दुग्ध व्यवसाय एवं दुग्ध डेयरी का काम प्रारम्भ किया,जो पति एवं परिवार के अन्य सदस्य के सहयोग से गांव सहित आसपास के आधा दर्जन गांव से दुग्ध एकत्रित कर पशुपालकों की आर्थिक हालत दुरस्त करा रही है। सास कमला साक्षर है,तो बहू धौहरी आठवीं पास है,कम शिक्षा पढे होने पर भी जिनके हौंसले बुलन्द है,जो घर के कार्य के साथ-साथ दुग्ध व्यवसाय में व्यस्त लगी रहती है।

-दुग्ध से बने खाद्य पदार्थ विश्वसनीय

कमला गुर्जर एवं धौहरी गुर्जर ने बताया कि दुग्ध के कार्य में क्रेता की विश्वास कायम करने के अलावा दुग्ध से बनाएं जा रहे खाद्य पदार्थ की गुणवक्ता एवं स्वाद पर ध्यान दिया जाता है। क्रेता द्वारा आर्डर प्राप्त होने पर ही खोआ,पनीर,घी,दही,छाछ आदि तैयार कर बेचा जाता है। बचे दूग्ध का अन्य डेयरी एवं बाजार में बेच दिया जाता है। 

-दुग्ध की नजर के सामने कढाई

कमला के पति भोला गुर्जर ने बताया कि प्रतिदिन तडके में जाग कर पशुपालकों के घर-घर जा कर स्वयं की नजर में दूध की कढाई कराते है,जिससे मिलावटी दूध से बचा जा सके। सायं भी देर रात तक दूध की कढाई कराते है। दूध देने वाले परिवार को 60 पैसा प्रति फेंट का भुगतान करते है,दूध गाय-भैंस का होता है। गाय के दूध की 40 से 50 फेंट तथा भैंस के दूध की 60 से 80 फेंट निकलती है,कोई-कोई भैंस के दूध की फेंट 90 तक पहुंच जाती है। क्रेता को खोआ 200रू  से 240 रू.,पनीर को 200 रू. से 240 रू.,दही 50 रू. से 60 रू. प्रति किलोग्राम तथा छाछ 15रू. से 20रू. प्रति लीटर भाव बेचा जाता है। 

  • -लुपिन बन रही मददगार

धौहरी गुर्जर एवं उनके पति नीतेश गुर्जर गुर्जर ने बताया कि लुपिन के अधिशासी निदेशक सीताराम गुप्ता,आरपीएम डाॅ.राजेश शर्मा एवं एसीपीएम डाॅ.भीमसिंह ने दुग्ध व्यवसाय एवं दुग्ध डेयरी का संचालन करने की प्रेरणा दी। लुपिन के अधिशाषी निदेशक गुप्ता ने साल 2020 में खोआ एवं पनीर तैयार करने की मशीन उपलब्ध कराई, 22 मार्च 2020 के बाद मानव जीवन पर कोरोना वायरस का संकट छा गया, जिससे दूध व्यवसाय प्रभावित रहौ लाॅकडाउन में स्वयं के दूध घी बनाया और लाॅकडाउन के बाद दूध से खोआ, पनीर, दही, छाछ आदि बनाने लगे। उक्त कार्य से एक दर्जन गांव के 200 से अधिक पशुपालक जुड गए, जिन्हे गाय-भैंस के दूध का 60 पैसा प्रति फेंट के हिसाव से 15 दिन के अन्तराल में भुगतान किया जाता है। 

-दुग्ध व्यवसाय को लुपिन देगी बढावा

लुपिन संस्थान के अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता ने बताया कि भरतपुर जिले में लुपिन फाउन्डेशन ,नाबार्ड, पशुपालन विभाग एवं अन्य सरकारी योजनाओं के माध्यम से साल 2001 से पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय को बढावा दिया जा रहा है,वैर-भुसावर उपखण्ड के 50 से अधिक गांव में गाय-भैंस ,मुर्गा-मुर्गी, सांड आदि पालन को आर्थिक मदद कराई और लुपिन के आर्थिक मदद कर हरियाणा,पंजाब, मध्यप्रदेश आदि प्रान्त में संचालित दुग्ध डेयरी एवं पशुपालन केन्द्र आदि का निरीक्षण करा प्रशिक्षण दिलाया। अब दुग्ध से खाद्य पदार्थ बनाने को आधुनिक मशीन उनलब्ध कराई जा रही है। जिले के वैर ,बयाना,रूपवास, सेवर आदि उपखण्ड के दो दर्जन से अधिक डेयरी संचालकों को खोआ,पनीर,छाछ,घी आदि बनाने की मशीन उपलब्ध कराई जा चुकी है।

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