एक तरफ सरकार लाखों पेड़ लगाने का दावा कर रही , दूसरी तरफ धड्डले से काटे जा रहे हरे पेड़ जिम्मेदार बन रहे मूकदर्शक
जिम्मेदारों की लापरवाही से हो रही हरे पेड़ों की कटाई ,अधिकारियों की टालमटोल
भीलवाड़ा (ब्रजेश शर्मा) प्रदेश में भजनलाल सरकार द्वारा वृक्षारोपण पर विशेष जोर दिया जा रहा है मुख्यमंत्री ने एक पेड़ मां के नाम स्लोगन दिया जिसका प्रदेश भर में असर देखने को मिल रहा है। जिले में करीब 13 लाख पौधे रोपण का किया जाना है अब तक जिले में 7 लाख 57 हजार पौधे लगाए जा चुके है। लेकिन इससे भी बड़ा चिन्ता का विषय यह है कि एक ओर सरकार पेड़ लगाने की बात कर रही लेकिन इसके लिए प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी जिले भर में धड्डले से काटे जा रहे पेड़ों के मामले में कुछ भी बोलने पर चुप्पी साधे बैठे है या एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते दिखाई दे रहे है। लेकिन
वन विभाग का प्रशासनिक अमला कार्रवाई नाम पर नगण्य है,, जिले की 95 प्रतिशत हरी लकडिय़ों का जिले में खुलेआम अवैध व्यापार चलता है, वैसे तो शहर हो या गांव हरे पेड़ धड़ल्ले से काटे जा रहे हैं, लकडिय़ों के इस अवैध व्यापार ने जड़ें जमा ली हैं। सूत्रों की मानें तो जिले में सबसे अधिक हरे पेड़ों की कटाई व लकडिय़ों का दोहन भीलवाड़ा जिले में हो रहा ।
प्रदेश भर में वैसे तो शहर हो या गांव हरे पेड़ धड़ल्ले से काटे जा रहे हैं, लेकिन अकेले भीलवाड़ा जिले में हरी लकडियो के इस अवैध व्यापार ने जड़ें जमा ली हैं। सूत्रों के मुताबिक जिले में सबसे अधिक हरे पेड़ों की कटाई व लकडिय़ों का दोहन ग्रामीण क्षेत्रों में होता है इसके लिए जिले में अपनी गाढ़ी जड़े जमा चुका अवैध कोयला व्यापार है । इसका जीता जागता उदाहरण जिले भर में आसींद, कोटड़ी,करेड़ा,बनेड़ा, जहाजपुर,शाहपुरा, सहाड़ा क्षेत्र में बड़े स्तर पर अवैध कोयला भट्टिया लगा विलायती बबूल की आड़ में धड्डल्ले से हरे और प्रतिबंधित पेड़ों की कटाई की जा रही है । जिले में करीब 200 आरा मशीन का लाइसेंस दिया हुआ है लेकिन इसके अलावा जिले भर में करीब 300 से अधिक आरा मशीनें फर्जी व अवैध तरीके से चलाई जा रहीं है। इस सबकी जानकारी स्थानीय प्रशासन, वन विभाग व पुलिस को बखूबी है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं।
कार्रवाई के नाम पर मूकदर्शक बना प्रशासन
कहने को तो हरे पेड़ों की कटाई व दोहन पर रोक के लिए प्रशासन ने वन विभाग का पूरा अमला तैनात कर रखा है। यही नहीं पर्यावरण विभाग भले ही पेड़ों की निरंतर कटाई पर चिंता जता रहा है। लेकिन प्रशासन की कार्रवाई बस स्लोगन तक सिमटी है। लकड़ी की कार्रवाई बस स्लोगन तक सिमटी है। लकड़ी व कोयला माफिया क्षेत्र में से हरे पेड़ों को कटवाकर अंधाधुंध दोहन में मशगूल हैं। वन विभाग तो बस “एक वृक्ष, एक पुत्र के समान या “धरती का श्रृंगार हैं वृक्ष जैसे नारों तक सिमटा है। चाहे पर्यावरण सुरक्षा के लिए वन एवं पेड़ों की अहमियत जो भी हो पर धड़ल्ले से पेड़ों का कटना जारी है। वन विभाग अपने दायित्व से विमुख है तो पुलिस की प्राथमिकताओं में यह शुमार नहीं है। शायद यही एक कारण है कि हरी लकडियों का जिले में खुलेआम यह अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है और लकड़ी व कोयला माफिया हरे पेड़ों को कटवा रहे हैं।
वन अधिकारियों की एक दूसरे पर टालमटोल
जिले में बड़े स्तर पर चल रहे हरी लकडिय़ों के दोहन पर वन विभाग के अधिकारी कार्यवाही के नाम पर बस टालमटोल करते रहते हैं। हरी लकडिय़ों के दोहन की बात हो या अवैध आरा मशीनों पर कार्रवाई की, कोई भी वन अधिकारी अपना स्पष्टीकरण नहीं दे पाता है।