कम उपयोग में घोड़े की तरह दौड़ रहे मीटरो में यूनिट जम्प का खेल, उपभोक्ता परेशान
बिल ठीक करवाने के लिए उपभोक्ता लगा रहे विभागों के चक्कर
पंचायत का काम बिजली विभाग कर रहा, बिजली खपत का खामियाजा कोई ओर भुगत रहा...!
उदयपुर (राजस्थान/ मुकेश मेनारिया) वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र में कुछ उपभोक्ताओं के मीटर घोडे की गति से दोड रहे है,भले ही बिजली का उपभोग कम हो रहा हो।
जिससे बिजली उपभोक्ता परेशान हैं। मीटर की इन तकनीकी खामियों के कारण उपभोक्ताओं के पास मनमाने बिल पंहुच रहे हैं। जिन्हें सही करवाने के लिए उपभोक्ता बिजलीघरों में अफसरों के चक्कर काट रहे हैं।
मेनार निवासी एक महिला उपभोक्ता ने बताया कि उसके घर में 9 वॉट के तीन बल्ब व दो पंखे और एक फ्रिज हैं। सर्दी में पंखे का तो उपयोग होता ही नहीं हैं व रात्रि को दो बल्ब जलते हैं। फिर भी बिल दो हजार के करीब आ रहा हैं। इसी तरह उपभेाक्ता एल मेनारिया ने बताया कि बिजली का कम उपभेाग करने पर भी उसका मीटर घोडे की गति की भॉति यूनिट बना रहा हैं। अधिकारियों को अवगत भी कराया लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई सिवाय आश्वासन के। जबकि 9वॉट का एक बल्ब 12 घण्टे प्रतिदिन जलता है तो महीने के करीब 10 यूनिट बनाता हैं। ऐसे में 9 वॉट के तीन बल्ब भी मान लिए तो महीने के 30 युनिट बनते हैं। इसी तरह फ्रिज का महीने के 40 यूनिट भी मान लिए जाए तो करीब 70 यूनिट ही बनता हैं।जबकि विगत कुछ माहों के बिलों को देखने से पता चलता हैं कि किसी माह के 50,किसी माह सिफ एक तो किसी माह 375 से अधीक तो किसी माह 830 यूनिट का उपभोग होना दर्शा रखे हैं। ऐसे में यह तो कतई नही हो सकता कि हर माह के अंतराल में पांच सौ तो कभी 600 यूनिट का अंतर आ जाए।
ऐसा होना मीटर द्वारा यूनिट जंप का ही काम प्रतीत हो हैं। ऐसे में यह तो कहना ही नाइंसाफी होगा कि मीटर में युनिट है तो जमा करवाना पडेगा। क्योंकि उपभोक्ता ने बिजली का इतना उपभेाग किया हीं नहीं,क्योंकि उसके मकान में ऐसे उपकरण हीं नहीं जिन्हें इस्तेमाल कर बिजली का उपभेाग कर सकें। उपभोक्ताओं ने बताया कि। अधिकारी इस तरह मीटर में गडबडी का खामियाजा उपभोक्ता से वसूलने के लिए दबाव बना रहे हैं, वहीं जमा नहीं कराने पर बिना जांच ,बिना सूचना, और बकाया जमा कराने का समय दिए बगैर ही कनेक्शन तक काट देना उपभोक्ता के अधिकार का हनन ही कहा जा सकता हैं। बिजली विभाग कर रहा पंचायत का काम- गांवों और कस्बों की गलियों में रात्रि को निसंदेह उजाला होना अच्छी बात हैं।लेकिन गलियों में उजाला करने का काम ग्रांम पंचायत को होता हैं और इन पर होने वाली बिजली खपत की राशी भी ंपचायत ही बिजली विभाग को अदा करता हैं। लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा हैं,कई गावों और कस्बों की गलियों में अनेक स्थानों पर उजाला तो हो रहा हैं। लेकिन उसका बिल जनता से ही किसी न किसी तरह से वसूला जा रहा हैं। क्योंकि पंचायत के द्वारा यह काम नहीं किया जा रहा जबकि पंचायत का यह प्रमुख काम बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा हैं। जो बिजली चोरी की श्रेणी में आता हैं। कई वि़द्युत पोलों पर सीधें कनेक्शन कर लाईटे लगा रखी है और यह काम बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा ही किया जा सकता हैं। अधिकारी भी इनसे अच्छी तरह वाकिफ हैं,लेकिन आखिर सवाल उठता हैं कि इन पर होने वाली बिजली की खपत किसके खातें में चढती हैं। जाहीर हैं मीटर के जंप के खेल में यह बिजली की खपत उन उपभोक्ताओं के ही खातें में जाने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता हैं जिनके द्वारा उपयोग तो कम किया जाता लेकिन मीटर जंप से यूनिट जरूर ज्यादा बता देते। फिर भी समझ से परे हैं कि पंचायत का काम बिजली विभाग कर रहा लेकिन बिजली खपत का खामियाजा कोई ओर भुगत रहा...!