दस दिवसीय संत प्रवचन के पांचवें दिन संतों ने कहा जीवात्मा परमात्मा से अलग नहीं
राजगढ़,अलवर
राजगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र के ग्राम थाना राजाजी में स्थित सेठजी की छतरी पर प्रवचन के पांचवे दिन स्वामी राघव दास ने कहा की जीवात्मा परमात्मा से अलग नहीं है और परमात्मा जीवात्मा से अलग नहीं है। अंतर इतना सा है की जीवात्मा के हृदय पर मल, विक्षेप व आवरण का पर्दा चढ़ा हुआ है। यदि जीव भक्ति से इसे हटा सकता है तो दोनों आत्मा एक ही है । परमात्मा यानी की श्रेष्ठ आत्मा इसलिए ही है कि तीनों गुणों से उठा हुआ , वह किसी भी गुण में रत नहीं है और जीवात्मा रजोगुण, सतोगुन व तमोगुण तीनों में से किसी ना किसी एक में तो बरसता ही है। लेकिन परमात्मा इन तीनो से ऊपर उठा हुआ है । परंतु कोई भी जीवात्मा इस स्थिति को भक्ति के माध्यम से भजन के माध्यम से प्राप्त कर सकता है स्वामी जी ने नवधा भक्ति को भी विस्तार से बताया उन्होंने अपने प्रवचन मे बताया कि प्रथम भक्ति संतन कर संगा.. इसी प्रकार क्रमश से नौ प्रकार की भक्ति को विस्तार से बताया।
स्वामी वैराग्य स्वरूप ने एकादशी के व्रत का विस्तार से महत्व बताया , स्वामी जी बताया की व्रत का मतलब है कोई संकल्प लेना । वेदो मे स्पस्ट किया है एकादशी के दिन प्रभु का भजन करना चाहिए और उस दिन से ये संकल्प लेना है की मुझे हर वक़्त घर या बाहर का कोई भी कार्य करने के साथ साथ प्रभु को जरूर याद रखना है । संतो ने अपने सभी कार्य कों प्रभु को सौप कर करने का भी महत्व बताया ।स्वामी नित्यानंद ने कहा की ऐसा करने से हर कार्य प्रभु की जिम्मेदारी हो जाती है परन्तु वो कार्य सत्कर्म तक सीमित है। पाप करने वाले कार्य मे तो बुरा ही फल मिलने वाला है ।
- अनिल गुप्ता