श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र प्रसंग का सुन्दर वर्णन किया
खैरथल ( हीरालाल भूरानी )
शहर के वार्ड नं 16 स्थिति पं. घनश्याम दास पार्क में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन कथाव्यास पं. धर्मेंद्र गिरधर जी महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया। भक्त सुदामा जितेंद्रिय एवं भगवान कृष्ण के परम मित्र थे। भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते। गरीबी के बावजूद भी हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। पत्नी सुशीला सुदामा जी से बार बार आग्रह करती कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश हैं उनसे जाकर मिलो शायद वह हमारी मदद कर दें। सुदामा पत्नी के कहने पर द्वारका पहुंचते हैं और जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है, कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौङकर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते। उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सिंहासन पर बैठाकर भगवान कृष्ण अपने सखा सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं। सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं लेकिन सुदामा जी अपनी कुटिया में ही रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं। एक अन्य प्रसंग में मुनि शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जिससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया। तक्षक नाग आता है और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते हैं। आज अंतिम की कथा में व्यासपीठ से पं. धर्मेंद्र गिरधर जी महाराज ने कर्मा बाई की भक्ति का भी व्याख्यान किया। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि 21 मई मंगलवार को सुबह हवन यज्ञ कर पूर्णाहुति दी जाएगी।