जब किसी कालखंड में असुरत्व का दंश होगा: युगीन साहित्य प्रवाह संस्थान की काव्य गोष्ठी का आयोजन
भीलवाड़ा ( राजकुमार गोयल) युगीन साहित्य प्रवाह संस्थान भीलवाड़ा द्वारा महेश नगर स्थित संस्थान कार्यालय में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के संरक्षक पूर्व अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी गोपाललाल दाधीच ने की। मुख्य अतिथि ओमप्रकाश शर्मा, विशिष्ट अतिथि अजमेर विद्युत वितरण निगम के पूर्व डायरेक्टर मुकुंदबिहारी पालीवाल तथा पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी रविकांत दाधीच थे। कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ. अवधेश जौहरी ने सरस्वती वंदना से किया। ओम उज्ज्वल ने 'भारत है जन्मभूमि, वीरों की है कर्मभूमि, इसको नमन हम बार-बार करते', दिलखुश राव सुरास रायपुर ने 'माँ के बिना यह सारी दुनिया अधूरी है, जाएगी जब छोड़कर आँगन रोएगा पछताएगा', अमिता पारीक खनक ने 'समंदर किनारे यूं ही टहलने नहीं आई, सुकूं चाहिए था कोरा बहलने नहीं आई', श्यामसुंदर तिवारी मधुप ने श्रीराम पर अपनी पंक्तियाँ 'कहने में सकुचा रहे मात सम्मुख श्री राम, माता को संतुष्ट किया आज्ञा प्रभु के हाथ', जयप्रकाश भाटिया ने 'जब किसी कालखंड में असुरत्व का दंश होगा, तब समूल नष्ट करने को वहाँ देवत्व का वंश होगा', गोपाल दाधीच ने 'म्हारा काळजै री कोर, म्हारा हिवड़ा री डोर' तथा 'गिरगिट बेरोजगार हो गया', रामेश्वर रमेश ने 'मान मनवा घणो समझाऊँ, कर कर हाथाजोड़ी, मन थू मत कर घाटा घोड़ी', डॉ. अवधेश जौहरी ने 'भूखे रहे खुद निवाला दिया मुझे, रिश्तों का यह दस्तूर निभाने का शुक्रिया', ओमप्रकाश शर्मा ने 'ए ठठेरे मीत मेरे, क्यों हंसाता क्यों रुलाता, छीनी हथौड़ी छनछनाकर क्यों डराता, क्यों सताता' मनमोहन सोनी ने 'इस मतलबी जहां में किस पर यकीन करें, सारे रिश्ते लगते हैं साबुन के झाग से', रविकांत दाधीच ने 'सब कुछ करो मगर नर्क में जगह खाली नहीं है', पुखराज सोनी ने 'जीना इसी का नाम है', योगेश दाधीच योगसा ने 'जिसमें तेरा नाम नहीं वह दिल मैं कहाँ से लाऊं', युगीन ने 'उन्मुक्त गगन का पंछी मैं, ख्वाबों के पंख लगे मेरे' सुनाकर खूब वाहवाही और तालियां बटोरी। अंत में संस्थान के प्रदेश सचिव योगेश दाधीच ने आभार प्रदर्शन किया।