मुस्लिम बाहुल्य सीट पर भाजपा का जोर, जीत का समीकरण

Nov 2, 2024 - 17:26
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मुस्लिम बाहुल्य सीट पर भाजपा का जोर, जीत का समीकरण

गोविंदगढ़ (अलवर) रामगढ़ सीट पर इस बार बीजेपी ने अपने सभी बाग़ियों को बैठा लिया है ताकि हिंदू वोटों में बंटवारा ना हो। दरअसल जब-जब तीसरा मोर्चा यानी बसपा या आसपा से हिंदू प्रत्याशी खड़ा हुआ तो भाजपा हारी है। और जब अन्य दलों से मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा हुआ तो कांग्रेस हार गई।
अलवर जिले के रामगढ़ विधानसभा सीट उपचुनाव ने गाय को राजस्थान में फिर एक बार सियासी मुद्दा बना दिया है। राजस्थान सरकार के गाय के आवारा पशु कहने पर बैन से लेकर राज्य माता का दर्जा और पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की बात कही जा रही है। क्योंकि मुस्लिम बाहुल्य रामगढ़ सीट पर गोतस्करी ही सबसे बड़ा मुद्दा बताया जा रहा  है।
जब से हिंदूवादी नेता ज्ञान देव आहूजा का टिकट वसुंधरा राजे ने काटा है । तब से बीजेपी इस सीट पर जीत नहीं रही है।इस बार बीजेपी ने पिछले चुनाव में बागी होकर लड़ने वाले सुखवंत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने विधायक जुबेर खान की मौत के बाद उनके बेटे आर्यन जुबेर को चुनावी मैदान में उतारा है।
 2018 में हालात बिलकुल बदल गए। यहां बसपा से हिंदू प्रत्याशी जगत सिंह चुनावी मैदान में आ गए और हिंदू वोटों को काटकर कांग्रेस को सीधे तौर पर फायदा पहुंचा दिया। जगत सिंह 24 हजार 856 वोट लेकर कांग्रेस की साफिया खान को जिता गए। साफिया खान को 83 हजार 311 और भाजपा के सुखवंत सिंह को 71 हजार 83 वोट मिले।
रामगढ़ के जातीय समीकरण
 सूत्रों से जानकारी के अनुसार रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 74 हजार 180 मतदाता है। इनमें 1 लाख 29 हजार 20 हजार 266 महिला मतदाता, 1 हजार44 हजार 914 पुरुष मतदाता है। जबकि 366 विशेष योग्यजन मतदाता है। इनमें 85 साल से अधिक उम्र के 168 मतदाता हैं।
जातिय आधार पर नजर

  • 70 हजार मुस्लिम मेव वोटर
  • 40 हजार ओड राजपूत
  • 20 हजार जाट वोटर
  • 22 हजार सैनी वोटर
  • 7 हजार मीणा
  • 6 हजार गुजर
  • 4 हजार यादव
  • 15 हजार सरदार
  • 50 हजार ब्राह्मण व वश्य
  • 40 हजार एससी 

बागी बड़ा फ़ैक्टर -हिंदू हैं या मुस्लिम
इस बार बीजेपी ने अपने सभी बाग़ियों को बैठा लिया है ताकि हिंदू वोट बंटे नही क्योंकि जब-जब तीसरा मोर्चा यानी बसपा या आसपा से हिंदू प्रत्याशी खड़ा हुआ तो भाजपा हारी और जब मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा हुआ तो कांग्रेस हार गई। इस बार उप चुनाव में तीसरा मोर्चा के कमजोर होने से भाजपा की राह आसान होती दिख रही है। क्योंकि बीजेपी से बगावत करने वाले जय आहूजा के तेवर तीसरे दिन ही ढीले हो गए और वे अपनी ही महापंचायत में पार्टी के नेताओं के सामने सरेंडर हो गए। लेकिन बीजेपी में अभी भितरघात का खतरा टला नहीं है. अगर बीजेपी भितरघात को रोकने सफल होती है तो सफलता की राह भी आसान हो जाएगी।

पिछले चुनावों का समीकरण
पिछले साल के 2023 के तीसरे मोर्चा यानी आजाद समाज पार्टी से बीजेपी के बागी सुखवंत सिंह मैदान में आ गए और बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाकर 74069 वोट ले गए।इससे बीजेपी प्रत्याशी जय आहूजा की जमानत जब्त हो गई। वह बीजेपी प्रत्याशी होने के बावजूद 34 हजार 882 वोट पर सिमट गए।  इस सीट पर ये बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। जबकि कांग्रेस के जुबेर खान 93 हजार 765 वोट लेकर चुनाव जीत गए। बीजेपी के उम्मीदवार और उसके बागी के वोट जोड़ दें तो कांग्रेस के जीते हुए उम्मीदवार से बहुत ज़्यादा था।

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