शहर क़ाज़ी बूंदी मरहुम मौलाना निज़ामुद्दीन साहब के जानशीन मुफ्ती मोहम्मद नदीम अख़्तर सका़फी ने अलविदा अदा की जुम्मे नमाज़
बून्दी (राजस्थान/ शाहरुख अत्तारी) बून्दी शहर मे रमजान के अलविदा जुम्मे की नमाज अदा की। शुक्रवार को मस्जिदों जुम्मे की नमाज अदा की। रोजेदारों ने नमाज अदा कर अल्लाह की इबादत कर उसकी रहमत पाने के लिये देश व मुल्क में शान्ति के लिये और कोरोनावायरस का खात्मा मुल्क से जल्द खत्म हो जाए हाथ उठाकर दुआ मांगी।
अलविदा शुक्रवार को बून्दी शहर की मुख्य मस्जिद मोमिन आरिफ साहब की बगीची में सरकारी गाइडलाइन के अनुसार रमजान के अलविदा जुम्मे की नमाज अदा की। रूयते-ऐ-हिलाल कमेटी सरपरस्त शहर क़ाज़ी बूंदी मरहुम मौलाना निज़ामुद्दीन साहब के जानशीन ( नवासे )मुफ्ती मोहम्मद नदीम अख़्तर सका़फी ने अल विदा जुम्मे की नमाज अदा करवाई और प्रेस विज्ञप्ति जारी करके काह की हमारे बिच से रमज़ान जुदा हो राह है अब, और खास की 9 मई को शबे कद्र है शबे कद्र की रात जिसे मिल जाये वह दुनिया व दीन दोनों में कामयाब हो जाएगा। जहन्नुम की आग से निजात पाने के लिए शबे कदर की रात में घरों में रहकर खूब इबादत व कुरान की तिलावत करनी चाहिए। ईमानदारी पूर्वक जकात की रकम जरूरतमंदों में बांटी जानी चाहिए। रोजा अच्छी जिंदगी जीने का प्रशिक्षण है। इसमें इबादत कर खुदा की राह पर चलने वाले इंसान का जमीर रोजेदार को एक नेक इंसान के व्यक्तित्व के लिए जरूरी हर बात की तरबियत देता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया की कहानी भूख, प्यास और इंसानी ख्वाहिशों के गिर्द घूमती है और रोजा इन तीनों चीजों पर नियंत्रण रखने की साधना है। मुफ्ती नदीम अख़्तर रज़ा कहते है कि रमजान का महीना तमाम इंसानों के दुख दर्द और भूख.प्यास को समझने की सलाहियत पैदा होती है । खुद को खुदा की राह में समर्पित कर देने का प्रतीक पाक महीना माह-ए-रमजान न सिर्फ रहमतों और बरकतों की बारिस का महीना है
व काह की 9 मई को शबे कद्र की नमाज़ मस्जिदों में सिर्फ सरकारी गाइडलाइन के अनुसार ही लोग नमाज अदा करेंगे बाकी लोग अपने घरों पर रहकर शबे कद्र की नमाज अदा करेंगे ईस बरकतों वाली रात मे खुब खुदा की इबादत करे, और जकात सदका खुब गरीबों को दे वहीं वही लोगों ने घरों में अल विदा जुम्मे की नमाज अदा कर खुदा की इबादत की और मुफ्ती मोहम्मद नदीम अख्तर सका़फी ने मुल्क में कोरोनावायरस जैसे वबा जल्द खत्म हो इसकी की दुआ मांगी। इस दौरान मीरा गेट मस्जिद में हाजी अब्दुल सलाम खिलजी , साजिद मुन्ना भाई, इस्लामुद्दीन अन्सारी, इस्हाक बाबा, मौजूद रहे,